scriptअनोखी परंपरा जहाँ मंदिर में माता को चढ़ाया जाता है कंकड़ पत्थर | UNIQUE TEMPLE of CHHATTISGARH: tradition where pebbles offered Goddess | Patrika News

अनोखी परंपरा जहाँ मंदिर में माता को चढ़ाया जाता है कंकड़ पत्थर

locationबिलासपुरPublished: Jul 05, 2022 04:52:32 pm

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CG Desk

UNIQUE TEMPLE OF CHHATTISGARH: इस अनोखी परंपरा का पालन सदियों से किया जा रहा है. खमतराई बगदाई मंदिर में वनदेवी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि वनदेवी के दरबार में मन्नत पूरी होने के लिए चढ़ावे के रूप में पांच पत्थर चढ़ाया जाता है.

vandevi mandir

बिलासपुर. UNIQUE TEMPLE OF CHHATTISGARH: भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां प्रसाद के रूप में देवी-देवताओं को अलग-अलग तरह की और कुछ अजीब चीजें भी चढ़ायी जाती हैं. लेकिन क्या भगवान को प्रसाद के रूप में कंकड़-पत्थर अर्पित किए जा सकते हैं? एक ऐसे ही मंदिर की जहां देवी मां को भोग और प्रसाद के रूप में नारियल या फल-फूल नहीं बल्कि कंकड़ और पत्थर का चढ़ावा चढ़ाया जाता है.

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से लगे खमतराई में वनदेवी का एक अनोखा मंदिर है, जहां माता को नारियल, फूल, पूजा सामग्री का चढ़ावा नहीं चढ़ाया जाता. बल्कि यहां प्रसाद के रूप में कंकड़ व पत्थर का चढ़ावा चढ़ाया जाता है. इस अनोखी परंपरा का पालन सदियों से किया जा रहा है. खमतराई बगदाई मंदिर में वनदेवी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि वनदेवी के दरबार में मन्नत पूरी होने के लिए चढ़ावे के रूप में पांच पत्थर चढ़ाया जाता है.

देवी मां को पांच पत्थरों का चढ़ावा चढ़ता है
श्रद्धालु इस मंदिर में फूल-माला या पूजन सामग्री लेकर नहीं बल्कि पांच पत्थर लेकर आते हैं और देवी मां से अपनी मनोकामना कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि वनदेवी के इस मंदिर में सच्चे मन से पांच पत्थर चढ़ाने वाले श्रद्धालु की मनोकामना जरूर पूरी होती है. मन्नत पूरी होने के बाद एक बार फिर श्रद्धालु मंदिर में पांच पत्थरों का चढ़ावा चढ़ाते हैं. हालांकि यहां मंदिर में वन देवी को कोई भी साधारण पत्थर नहीं चढ़ाया जा सकता बल्कि खेतों में मिलने वाला गोटा पत्थर ही चढ़ाया जाता है.

चढ़ता है ये विशेष पत्थर
मंदिर के पुजारी अश्वनी तिवारी ने बताया कि वनदेवी के मंदिर में कोई भी पत्थर चढ़ावे के रूप में नहीं चढ़ाया जा सकता, बल्कि खेतों में मिलने वाला गोटा पत्थर ही बस चढ़ाने की परंपरा है. अश्वनी तिवारी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ी में इस पत्थर को चमरगोटा कहते हैं. बस यही पत्थर चढ़ावे के रूप में चढ़ाया जाता है. मंदिर में पहुंची श्रद्धालु सुनीता साहू और आनंद बाई का कहना है कि मंदिर की इस अनोखी परम्परा के बारे में जानकर दर्शन करने और मनोकामना लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. यहां उनकी मन्नत पूरी भी होती है.

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