चमकी बुखार एक तरह का दिमागी बुखार होता है। इसका वैज्ञानिक नाम एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो 10 साल तक के बच्चों को अपने चपेट में ज्यादा लेती है। 1 से 10 साल के बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण यह बुखार उनको अपनी चपेट में जल्दी ले लेता है। शरीर में इसके वायरस बढऩे पर ये मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और नर्वस सिस्टम को खराब कर देते हैं। तेज बुखार के साथ बच्चे को उल्टियां होने लगती हैं, बेहोशी छा जाती है और वह बेहोश हो जाता है। झटके आने के बाद एक दो दिन में बच्चे की हालत नाजुक स्थिती में पहुंच जाती है।
चमकी बुखार से बचाव के उपाय
– धूप से बच्चों को दूर रखें
– पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनाएं
– बच्चों के शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें।
– रात को मच्छरदानी लगाकर सोएं।
– बच्चों को हल्का साधारण खाना खिलाएं और जंक फूड से दूर रखें।
– सड़े-गले फल न खिलाएं।
– घर के आसपास गंदगी नहीं होने दें।
-बच्चे को खाली पेट न रहने दें, खाना खिलाकर ही सुलाएं।
-बीमारियों का सीजन है, बुखार आए तो डॉक्टर को दिखाएं।
बच्चों में दिखें ये लक्षण तो लें डॉक्टर की सलाह
– लगातार तेज बुखार।
– शरीर में ऐंठन।
– कमजोरी।
– बेहोशी छाना।
– शरीर का सुन्न पड़ जाना।
-इंफै क्शन और हीट स्ट्रोक भी प्रमुख कारण।
-बुखार के बाद बेहोशी और झटके आना।
-एक दो दिन में ही बच्ची गंभीर स्थिती में पहुंच जाता है।
—छत्तीसगढ़ में चमकी बुखार(Chamki fever)के अभी तक कोई केस नहीं आया है। जगदलपुर तरफ एक केस पॉजीटिव पाया गया है। परिजन घबराएं नहीं बस सावधानी बरतें, बच्चे को बुखार हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। चमकी बुखार के कई कारण हो सकते हैं। अभी फिलहाल मौसमी बीमारियों के मरीज आने शुरु हो गए हैं।
डॉक्टर राकेश नहरोल
बच्चा रोग विशेषज्ञ सिम्स।