scriptसरल भाषा में समझिए कि लोग क्यों पड़ते हैं बीमार, कैसे हो सकता है निदान और कैसे बच सकते हैं इससे | why people fall ill, how to diagnose and how to avoid it | Patrika News

सरल भाषा में समझिए कि लोग क्यों पड़ते हैं बीमार, कैसे हो सकता है निदान और कैसे बच सकते हैं इससे

locationबिलासपुरPublished: Nov 20, 2019 11:22:02 am

Submitted by:

JYANT KUMAR SINGH

सीयू के एचआरडीसी में 26 वें अभिमुखीकरण कार्यक्रम में व्याख्यान, विशेषज्ञों ने विभिन्न मसलों पर रखे अपने विचार

सरल भाषा में समझिए कि लोग क्यों पड़ते हैं बीमार, कैसे हो सकता है निदान और कैसे बच सकते हैं इससे

सरल भाषा में समझिए कि लोग क्यों पड़ते हैं बीमार, कैसे हो सकता है निदान और कैसे बच सकते हैं इससे

बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-मानव संसाधन विकास केन्द्र में सहायक प्राध्यापकों के लिए छब्बीसवां उन्मुखीकरण कार्यक्रम दिनांक 13 नवम्बर, 2019 से प्रारंभ हुआ।

दिनांक 18 नवंबर, 2019 को प्रथम सत्र के प्रथम व्याख्यान में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के सह प्राध्यापक डॉ.अश्विनी कुमार दीक्षित ने ‘पारंपरिक चिकित्सा में वनस्पति विज्ञान’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने औषधीय वनस्पति ज्ञान के बारे में विस्तार से बताया एवं मनुष्यों के बीमार पडऩे के कारणों की व्याख्या की। डॉ. दीक्षित ने बताया कि पारंपरिक ज्ञान एक सतत विकसित बहुमुखी ज्ञान है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से प्रसारित होता है। विभिन्न देशी पौधों के औषधीय मूल्यों के बारे में भी उन्होंने जानकारी प्रदान की।
दूसरे व्याख्यान में डॉ. अश्विनी कुमार दीक्षित ने ष्स्वदेशी ज्ञान और वैज्ञानिक मान्यताष् विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने विभिन्न देशी पौधों के बारे में बताते हुए विज्ञान से उसके सम्बन्धों को दर्शाया। साथ ही औषधीय गुणों वाले पौधों की विशेषताओं की भी व्याख्या की। उदाहरण के लिए- स्वदेशी पौधों जैसे ग्लोरियोसा सुपरबा (झगरा का पौधा), मार्टिनिया अन्नुआ (तांत्रिक पौधा), सोयामीडा फेब्रिफुगा (रोहणी) आदि में विभिन्न औषधीय गुण मौजूद हैं। लोकगीतों की अभिव्यक्ति की रक्षा के लिए कानूनी और तकनीकी सहायता और उचित प्रलेखन की आवश्यकता को दोहराया। पारंपरिक ज्ञान को डिजिटल लाइब्रेरी में संग्रहित करने के लिए भारत सरकार ने 2001 में टीकेडीएल की शुरूआत की। जहां पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित और सुरक्षित रखा जाता है।
द्वितीय सत्र के प्रथम व्याख्यान में गुरु घासीदास विश्व विद्यालय के शारिरिक शिक्षा एवं खेलकूद विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ. संजीत सरदार ने ‘डिफाइनिंग ए रिसर्च प्रॉब्लम’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने प्राधिकरण, परंपरा, अनुभव, कटौतीआत्मक तर्क, प्रेरक तर्क और वैज्ञानिक पद्धति जैसे ज्ञान प्राप्त करने के विभिन्न तरीकों का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि एक शोध समस्या का चयन हमेशा एक सजातीय समूह से होता है जो एक विषम समूहों से कम होता है। विभिन्न प्रकार के चर जैसे कि कंटीन्यू, डिसक्रीट, इंडिपेंडेंट, डिपेंडेंट इत्यादि का वर्णन किया। उन्होंने समस्या, परिकल्पना, आलोचनात्मक, संबंधित और गहनीयता के साथ विभिन्न प्रकार के साहित्य जैसे विषयों को अपने व्याख्यान के अन्तर्गत शामिल किया।
द्वितीय सत्र के अंतिम व्याख्यान में डॉ. सरदार ने सर्वे रिसर्च यह पर प्रतिभागिों को जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि यह विधि सबसे आम वर्णनात्मक शोध पद्धति है और शैक्षिक और व्यवहार विज्ञान में व्यापक रूप से उपयोग की जानी विधि है। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षण अध्ययन हैं जैसे प्रश्नावली विधि, व्यक्तिगत साक्षात्कार, अवलोकन विधि, डेल्फी विधि, मानक सर्वेक्षण, अनुदैध्र्य, पार-अनुभागीय, दूरभाष, ऑनलाइन सर्वेक्षण आदि। साक्षात्कार सर्वेक्षण प्रश्नावली विधि से बेहतर है। इसमें अनुवर्ती प्रश्न पूछे जा सकते हैं। डेल्फी विधि पाठ्यक्रम सामग्री विकास में सहायक है। अनुदैध्र्य सर्वेक्षण ट्रेंड अध्ययन, कोहोर्ट रिसर्च और पैनल अध्ययन के माध्यम से आयोजित किया जाता है।
कोर्स में देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से विषय विशेषज्ञ प्रतिभागियों को व्याख्यान देने आएंगे। इस कोर्स के कोर्स कोऑर्डिनेटर यूजीसी-मानव संसाधन विकास केन्द्र के निदेशक डॉ. रत्नेश सिंह, सह-प्राध्यापक, शारीरिक शिक्षा विभाग हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो