संयुक्त राष्ट्र ने 12 अप्रैल 2018 को विश्व सायकल दिवस मनाने की मंजूरी दी थी तथा सायकल को परिवहन के एक सरल, किफायती, भरोसमंद और पर्यावरण के अनुकूल साधन की घोषणा की थी। तब से 3 जून को विश्व सायकल दिवस मनाया जाता हैं।
एक घटना का जिक्र करते हुए मकसूद अहमद अंसारी ने बताया कि यात्रा के दौरान उनकी टीम कानपुर पहुंची। जहां आर्मी कैंप लगा हुआ था। एक साथ 12 लोगों को तपती धूप में सायकल से जाता देख आर्मी के अफसर ने उन्हें अपने पास बुलाकर धूप में यात्रा करने का कारण पूछा। जब हमने उन्हें बताया कि हम छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से अजमेर शरीफ जाने के लिए सायकल से निकले हैं तो वे बड़े प्रभावित हुए। कुछ अफसरों ने पैसे देकर अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाने की गुजारिश की।
मकसूद अहमद अंसारी ने बताया कि जब हमारी टीम के सदस्यों ने सायकल से अजमेर शरीफ जाने की बात लोगों से कही तो उन्होंने हमारा मजाक उड़ाते हुए हमारे निर्णय को बेवकूफी बताया। इससे टीम का उत्साह ठंडा पड़ गया तथा जाने से मना करने लगे। मैंने जब उन्हें बताया कि एक वर्ष पूर्व अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने 65 वर्ष का एक व्यक्ति 65 किलो भारी ईसा मसीह का क्रास लेकर अमेरिका से गोवा तक पैदल यात्रा कर सकता हैं तो हम क्यों नहीं। हमें तो अपने देश में ही जाना है वो भी सायकल से। मेरी बातों से प्रभावित होकर हम सभी रवाना हो गए। वापस आने पर मोहल्लेवासियों ने हमारा जोरदार स्वागत किया और हमारी इस उपलब्धि पर बधाई दी।