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अभी तक डिजिटल नहीं हुई एक्स-रे मशीन आईसीयू कक्ष व सीटी स्केन का भी अभाव

locationबिलासपुरPublished: Oct 11, 2018 01:45:47 pm

Submitted by:

Amil Shrivas

इनमें जहां एक्स-रे मशीन वर्षों पुरानी है तो आईसीयू कक्ष और सीटी स्केन मशीन नहीं है।

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अभी तक डिजिटल नहीं हुई एक्स-रे मशीन आईसीयू कक्ष व सीटी स्केन का भी अभाव

बिलासपुर. कलेक्टर पी दयानंद ने जिला अस्पताल के जीवनदीप समिति की मंगलवार को संपन्न हुई बैठक में 28 लाख से दो डायलिसिस मशीनें लगाने का निर्णय लिया। डायलिसिस मरीजों के लिए यह राहत की खबर है। लेकिन अस्पताल की अन्य सुविधाएं अभी भी दरकार है जबकि कुछ सुविधाओं में सुधार की जरूरत है। इनमें जहां एक्स-रे मशीन वर्षों पुरानी है तो आईसीयू कक्ष और सीटी स्केन मशीन नहीं है। सोनाग्राफी मशीन तो है, पर वह भी कभी-कभी हैंग हो जाती है। ऐसी स्थिति में मरीजों को बाहर से जांचे कराना पड़ती हंै।

जिले में डायलिसिस मरीज और मशीनों की संख्या : शहर के निजी अस्पतालों में मशीनें होने के कारण सभी जगहों पर मरीज डायलिसिस के लिए पहुंचते हैं लेकिन निजी अस्पतालों में यह उपचार महंगा पड़ता है। प्राइवेट में एक बार डायलिसिस के 1500 से 2000 रुपए तक लगते हैं जबकि सरकारी अस्पताल में केवल 400 या बीपीएल कार्ड होने पर आयुष्मान योजना से नि:शुल्क डायलिसिस होता है।
ब्लड साफ कराने नहीं करना होगा इंतजार : किडनी की तरह खून साफ करने वाली डायलिसिस मशीनों की संख्ख्या बढ़ कर अब जिला अस्पताल में पांच हो जाएंगी। अभी अस्पताल में उपलब्ध तीन मशीनों से 20 मरीज नियमित डायलिसिस कराते हैं। वहीं 5 से 6 मरीजों को वेटिंग में रहना पड़ता था। इसमें से एक मशीन एचसीबी यानी केवल पोजिटिव मरीजों के लिए है। मरीजों के कारण आपातकालीन स्थिति में डायलिसिस मशीनें खाली नहीं रहती थी। अब कलेक्टर द्वारा दो और डायलिसिस मशीनों को लगाने के निर्णय से मरीजों की वेटिंग खत्म होगी। इलाज सस्ता होगा और इमरजेंसी में डायलिसिस मशीनें भी उपलब्ध रहेगी।

जिला अस्पताल से रेफर हो रहे मरीज : जिला अस्पताल में प्रतिदिन गंभीर किस्म के मरीज आते हैं लेकिन ऐसे मरीजों के लिए जिला अस्पताल में आईसीयू कक्ष भी नहीं है। मरीज की हालत गंभीर होने पर उन्हें जिला अस्पताल से सिम्स या अन्य अस्पतालों में रेफर किया जाता है।
मरीज बाहर से कराते हैं एक्स-रे : वर्तमान में जिला अस्पताल में डिजिटल एक्स-रे मशीन नहीं है। पुरानी मशीन से एक्स-रे करवाने में पहले लाइन में लगना पड़ता है। एक्स-रे के बाद फ्रेम की धुलाई होगी और फिर फ्रेम सुखाने में भी समय लगेगा। कभी-कभी तो मशीन भी जबाब दे देती है। ऐसे में रिपोर्ट तैयार होने में समय लगता है जबकि शहर की अन्य प्राइवेट अस्पतालों में डिजिटल मशीन से सिर्फ पांच मिनट में ही रिपोर्ट मिल जाती है। यही कारण है कि लोग बाहर से ही एक्स-रे कराना उचित समझते हैं।

बाहर से करा रहे सीटी स्केन : बीमारियों को बारीकी से पकडऩे के लिए सीटी स्केन मशीन भी जिला अस्पताल में नहीं है। लोग प्राइवेट में जांच कराने मजबूर हैं। वहीं सरकारी सोनोग्राफी मशीन से समय पर रिपोर्ट न मिलने की शिकायतें भी आए दिन आती रहतीं हैं।
मरीजों को कराई जा रही है सुविधा मुहैया : जितनी सुविधाऐं सरकार दे रही है, उतनी जिला अस्पताल से मरीजों को मुहैया कराई जा रहीं हैं। आईसीयू कक्ष के लिए जरुरी है उसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर हों। बड़ी सुविधाओं के लिए मेडिकल कॉलेज है।
डॉक्टर एसएस भाटिया, सिविल सर्जन जिला अस्पताल।
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