ब्लड साफ कराने नहीं करना होगा इंतजार : किडनी की तरह खून साफ करने वाली डायलिसिस मशीनों की संख्ख्या बढ़ कर अब जिला अस्पताल में पांच हो जाएंगी। अभी अस्पताल में उपलब्ध तीन मशीनों से 20 मरीज नियमित डायलिसिस कराते हैं। वहीं 5 से 6 मरीजों को वेटिंग में रहना पड़ता था। इसमें से एक मशीन एचसीबी यानी केवल पोजिटिव मरीजों के लिए है। मरीजों के कारण आपातकालीन स्थिति में डायलिसिस मशीनें खाली नहीं रहती थी। अब कलेक्टर द्वारा दो और डायलिसिस मशीनों को लगाने के निर्णय से मरीजों की वेटिंग खत्म होगी। इलाज सस्ता होगा और इमरजेंसी में डायलिसिस मशीनें भी उपलब्ध रहेगी।
मरीज बाहर से कराते हैं एक्स-रे : वर्तमान में जिला अस्पताल में डिजिटल एक्स-रे मशीन नहीं है। पुरानी मशीन से एक्स-रे करवाने में पहले लाइन में लगना पड़ता है। एक्स-रे के बाद फ्रेम की धुलाई होगी और फिर फ्रेम सुखाने में भी समय लगेगा। कभी-कभी तो मशीन भी जबाब दे देती है। ऐसे में रिपोर्ट तैयार होने में समय लगता है जबकि शहर की अन्य प्राइवेट अस्पतालों में डिजिटल मशीन से सिर्फ पांच मिनट में ही रिपोर्ट मिल जाती है। यही कारण है कि लोग बाहर से ही एक्स-रे कराना उचित समझते हैं।
मरीजों को कराई जा रही है सुविधा मुहैया : जितनी सुविधाऐं सरकार दे रही है, उतनी जिला अस्पताल से मरीजों को मुहैया कराई जा रहीं हैं। आईसीयू कक्ष के लिए जरुरी है उसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर हों। बड़ी सुविधाओं के लिए मेडिकल कॉलेज है।
डॉक्टर एसएस भाटिया, सिविल सर्जन जिला अस्पताल।