16 प्रतिशत मरीजों की आयु 10 से लेकर 19 वर्ष है। मानसिक बीमारियों का सबसे बढ़ा कारण नशा, इंटरनेट का बढ़ता चलन, प्रेम में असफलता शामिल है।
तनाव के गड्ढे में गिर रही युवा पीढ़ी, हावी हो रहीं मानसिक बीमारियां
बिलासपुर. विश्व मानसिक दिवस पर बुधवार को जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। कहीं मानसिक स्वास्थ्य पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा सुरक्षा सप्ताह मनाया गया तो कहीं विशेषज्ञों ने संगोष्ठी आयोजित कर युवाओं पर बढ़ते मानसिक तनाव पर चिंता व्यक्त की। सिम्स में आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञ डॉक्टरों की माने तो मानसिक बीमारी से सबसे ज्यादा खतरा युवाओं पर मढऱा रहा है। युवा में हताशा बढ़ रही है। युवा नशे से ग्रसित हो रहा है। परिजनों की अपने बच्चों से ज्यादा उम्मीदें भी बच्चो को तनाव के गढ्ढे में धकेल रही हैं। युवाओं पर हावी हो रही मानसिक बीमारियां समाज के लिए एक चुनौती बनकर सामने आ रही हैं। बताया गया कि विश्व 450 मिलियन लोग किसी न किसी रूप से मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं। इसमें से 16 प्रतिशत मरीजों की आयु 10 से लेकर 19 वर्ष है। मानसिक बीमारियों का सबसे बढ़ा कारण नशा, इंटरनेट का बढ़ता चलन, प्रेम में असफलता शामिल है।
IMAGE CREDIT: patrikaसिम्स में मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह का आयोजन : विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 4 से 10 अक्टूबर तक युवा लोग और बदलती दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य विषय पर मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसी कार्यक्रम के तहत सिम्स के मनोरोग विभाग द्वारा विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। 9 अक्टूबर को बैनर, पोस्ट, जागरुकता कार्यक्रम, युवाओं में मानसिक बीमारियों का अवसाद, नशे से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न आयोजन किए गए। वहीं 10 को सिम्स में कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें मेडीकल छात्रों, स्टाफ और विशेषज्ञ डॉक्टरों ने भाग लिया।
बढ़ते मानसिक रोग पर डॉक्टरों ने जताई चिंता : विश्व मानसिक दिवस के अवसर पर राज्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी में युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर संगाष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर डॉक्टर आशुतोष तिवारी ने कहा कि समय तेजी से बदल रहा है। परिजनों की आशाएं बच्चों से बढ़ गईं हैं। परिजन अपने बच्चों की तुलना दूसरे के बच्चों से कर रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरुप बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ रहा है। मानसिक बीमारियां जन्म ले रहीं हैं। इस मौके पर डॉक्टर बीआर होतचंदानी ने कहा कि परिजन यदि बच्चों को होने वाली समस्याओं को पहले ही समझ लें तो बच्चों में होने वाली मानसिक बीमारियों को रोका जा सकता है। डॉक्टर सतीश श्रीवास्तव ने कहा कि आज युवा वर्ग नौकरी, प्रेम में असफलता जैसी समस्याओं से ग्रस्त है। इससे बचने के लिए युवा दूसरी संभावनाएं तलाशें। वहीं डॉक्टर बीआर नंदा ने तनाव के विभिन्न कारणों तथा उसके उचित प्रबंधन समझाए। युवाओं के स्वस्थ्य मानसिक विकास के लिए परिजनों और शिक्षकों की जिम्मेदारियों को महत्वपूर्ण बताया। मंच संचालन अल्का अग्रवाल ने किया। इस मौके पर डॉ. शेखर चटर्जी, डॉ. जेएस लकड़ा, मेट्रन खेलकला मांड्रे, बीएल शर्मा, वीके पाटनवार, प्रशांत रंजन, दानेश्वर राजपूत, अखिलेश डेविड आदि मौजूद रहे।