scriptखांसने के दौरान मुंह से निकली कफ की बूंदें हवा में 6 मीटर तक प्रभावी | A drop of phlegm can travel up to 6.6 meters | Patrika News

खांसने के दौरान मुंह से निकली कफ की बूंदें हवा में 6 मीटर तक प्रभावी

locationनई दिल्लीPublished: Nov 04, 2020 04:19:41 pm

कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने की एक वजह खांसी के दौरान निकलने वाली बूंदें भी हैं।

खांसने के दौरान मुंह से निकली कफ की बूंदें हवा में 6 मीटर तक प्रभावी

खांसने के दौरान मुंह से निकली कफ की बूंदें हवा में 6 मीटर तक प्रभावी

वाशिंगटन । एक अध्ययन में पता चला है कि खांसने के दौरान मुंह से निकलने वाली कफ की एक बूंद हवा में 2 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से 6.6 मीटर तक की यात्रा कर सकती है। बल्कि हवा सूखी होने पर इससे भी ज्यादा दूरी तक यात्रा कर सकती है। सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने वायरल ट्रांसमिशन को समझने के लिए द्रव भौतिकी के महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया। ‘फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स’ नाम के जर्नल में प्रकाशित पेपर में छोटी सी बूंद के फैलाव पर सिमुलेशन के जरिए अध्ययन किया।

अध्ययन के लेखक फोंग येव लियोंग ने कहा, “मास्क पहनने के अलावा, हमने सोशल डिस्टेंसिंग को प्रभावी पाया है क्योंकि खांसी के दौरान व्यक्ति के मुंह से निकली छोटी बूंद का असर कम से कम एक मीटर की दूरी पर खड़े व्यक्ति पर कम होता है।”

एक बार के खांसने पर बड़ी सीमा में हजारों बूंदों का उत्सर्जन होता है। वैज्ञानिकों को गुरुत्वाकर्षण बल के कारण जमीन पर बड़ी-बड़ी बूंदें पड़ी मिलीं, लेकिन खांसने पर बिना हवा के भी बूंदें एक मीटर तक गईं। दरअसल, मध्यम आकार की बूंदें छोटी बूंदों में वाष्पित हो सकती हैं, जो हल्की होने के कारण आसानी से और आगे की यात्रा करती हैं।

लेखक ने आगे कहा, “वाष्पीकृत होने वाली छोटी बूंद में गैर-वाष्पशील वायरल सामग्री होती है इससे वायरल के फैलने का खतरा प्रभावी रूप से बढ़ जाता है। यह वाष्पित बूंदें एरोसोल बन जाती हैं और वे फेफड़ों में गहराई से प्रवेश करने को लेकर अधिक संवेदनशील होती हैं।”

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