राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश है, जहां प्रति लाख की आबादी पर 111.1 की मौत होती है। उन्होंने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि क्रोनिक ऑब्सट्रकटिव पल्मोनरी डिजिज (सीओपीडी) से होने वाली मौतें की सूची में भी राजस्थान शीर्ष पर है। राज्य में हर एक साल की आबादी पर 24 की मौत अस्थमा से होती है।
दिल्ली स्थित लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक और प्रबंधक ट्रस्टी अरविन्द कुमार ने कहा कि प्रदूषण में वृद्धि एक राष्ट्रीय आपातकाल है, ‘‘वायु प्रदूषण एक साइलेंट किलर है। हर साल दुनिया में 4.2 मौतें इसके कारण होती है। यह सबसे बड़ी चुनौती है।’’
कुमार ने कहा, ‘‘दिल्ली में सर्जरी के दौरान मैं ज्यादातर काले फेफड़े देखता हूं। दिल्ली में अब लोगों के फेफड़े गुलाबी रंग के नहीं रह गए हैं। यहां तक की बच्चों के फेफड़े में भी काले स्पॉट मिलते हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रदूषण के कारण अब देश का कोई भी व्यक्ति ध्रूमपान से बचा हुआ नहीं है।फेफड़ों के कैंसर के 50 फीसदी मरीज ध्रूमपान नहीं करने वाले होते हैं। स्थिति की गंभीरता बताते हुए पूर्व सांसद करन सिंह यादव ने कहा कि यहां तक कि बच्चे भी उतना धुंआ सांस में ले रहे हैं, जितना एक दिन में 10 सिगरेट पीने से जाता है।
प्रदूषण को रोकने के उपाय पर जोर देते हुए जयपुर की मेयर विष्णु लता ने कहा, ‘‘हमने 50,000 पौधे लगाने तथा शहर में इलेक्ट्रिक बसें चलाने का फैसला किया है।