कुछ बच्चों के जन्म से ही दांत होते हैं
हालांकि कुछ बच्चों में जन्म से ही दांत होते हैं। इन्हें नेटल या नियोनेटल टीथ कहते हैं और यदि बच्चे को मां से फीडिंग में परेशानी हो रही है तो इनका भी इलाज करवाना जरूरी हो जाता है। कई बार दांत के टुकड़े भी मुंह में फंसे रह सकते हैं। जिन बच्चों में फिलिंग यानी विशेष पदार्थ भरने के बावजूद तकलीफ कम नहीं होती है तो उनमें रूट कैनाल के तहत दांतों के नीचे की नसों की सफाई करके उसमें स्पेशल मैटेरियल भरा जाता है। दूध के दांतों में रूट कैनाल करने को लेकर लोगों में भ्रांति होती है कि इससे पक्के दांत आने में दिक्कत होगी। लेकिन ऐसा नहीं है। बच्चों में फिलिंग मैटेरियल ऐसा इस्तेमाल किया जाता है जो पक्के दांत आते वक्त अपनी जगह छोड़ देता है। इससे परमानेंट टीथ टेढ़े भी नहीं आते हैं।
हालांकि कुछ बच्चों में जन्म से ही दांत होते हैं। इन्हें नेटल या नियोनेटल टीथ कहते हैं और यदि बच्चे को मां से फीडिंग में परेशानी हो रही है तो इनका भी इलाज करवाना जरूरी हो जाता है। कई बार दांत के टुकड़े भी मुंह में फंसे रह सकते हैं। जिन बच्चों में फिलिंग यानी विशेष पदार्थ भरने के बावजूद तकलीफ कम नहीं होती है तो उनमें रूट कैनाल के तहत दांतों के नीचे की नसों की सफाई करके उसमें स्पेशल मैटेरियल भरा जाता है। दूध के दांतों में रूट कैनाल करने को लेकर लोगों में भ्रांति होती है कि इससे पक्के दांत आने में दिक्कत होगी। लेकिन ऐसा नहीं है। बच्चों में फिलिंग मैटेरियल ऐसा इस्तेमाल किया जाता है जो पक्के दांत आते वक्त अपनी जगह छोड़ देता है। इससे परमानेंट टीथ टेढ़े भी नहीं आते हैं।