स्वाइन फ्लू का वायरस कम तापमान पर अधिक सक्रिय होता है इसलिए इसका खतरा नवंबर से फरवरी तक ज्यादा रहता है। पहले से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा लेकर इसका खतरा घटाया जा सकता है। होम्योपैथी में इन्फ्लूएनजिनम, यूपेटोरिम पर्फ, रसटॉक्स, मर्कसोल व आर्सनिक एल्ब में से किसी एक दवा को विशेषज्ञ प्रिवेंटिव डोज के रूप में तीन दिन तक देते हैं। ये दवाएं सिंगल या कॉम्बीनेशन के रूप में स्वस्थ व्यक्ति को ही बचाव की खुराक के रूप में देतें हैं।
गिलोय-तुलसी से पूरी तरह बचाव –
आ युर्वेद के अनुसार रोजाना तुलसी के 1-2 पत्ते आधे कप पानी के साथ निगलने और गिलोय का काढ़ा लेने से स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया के अलावा कई अन्य बीमारियों से बचाव होता है।
ये भी उपयोगी : सूखी गिलोय, आंवला, हल्दी, अड़ूसा व छोटी कटेरी, इन सभी की 20-20 ग्राम मात्रा लेकर एक लीटर पानी में उबालें। पानी 300-350 मिलिलीटर बचने पर 50 मिलिग्राम वयस्कों व 25 मिलिग्राम बच्चों को 5 दिनों तक देने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
प्राणायाम व योगासन भी मददगार –
2-5 मिनट लंबी सांस लें व छोड़ें, 8-10 मिनट अनुलोम – विलोम व 5-10 मिनट भ्रामरी प्राणायाम करें। साथ ही गोमुखासन करें। इसमें बाएं पैर को मोड़कर एड़ी दाएं कूल्हे के नीचे व दाएं पैर को मोड़़कर बाएं पैर पर ऐसे रखें कि घुटने आपस में स्पर्श करें। दाएं हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मोड़ें व बाएं हाथ को पीछे से लेते हुए दाएं हाथ से पकड़ें।