कोलेस्ट्रॉल एक चिपचिपा पदार्थ है जो शरीर में पाया जाता है। यह नर्वस सिस्टम से पाचनतंत्र तक की कार्यप्रणाली के लिए जरूरी है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 से 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर के बीच होता है। इसे अधिक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को उच्च माना जाता है। ऐसे में हृदय रोगों की आशंका रहती है।
पाचन क्रिया : लिवर से स्त्रावित होने वाले बाइल जूस को बनाने में कोलेस्ट्रॉल अहम रोल अदा करता है। जो पाचन क्रिया के लिए जरूरी है।
कोशिकाओं का निर्माण : यह लिपिड के साथ मिलकर कोशिकाओं का निर्माण करता है। साथ ही यह हार्मोन के निर्माण के लिए भी जरूरी है।
कोलेस्ट्रॉल का गणित –
आप स्वस्थ हैं तो भी फैट बढ़ाने वाली चीजें खाने से बचें। अगर पहले ही शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा है या रिस्क फैक्टर (फैमिली हिस्ट्री, स्मोकिंग, मोटापा आदि) हैं तो खाने में घी-तेल कम लें। इसकी जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल टैस्ट होता है। जिसमें एचडीएल (गुड कोलेस्ट्रॉल), एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रॉल) और ट्राइग्लिसरॉइड के स्तर को जांचा जाता है। शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 200 मिग्रा/डेसीलीटर से अधिक नहीं होना चाहिए।
संतुलित भोजन लें –
दिल और लिवर को फिट रखने के लिए डाइट में गेहूं, ज्वार, बाजरा, जई, दलिया, स्प्राउट्स, ओट्स और दाल लें। इनमें मौजूद फाइबर से कोलेस्ट्रॉल घटता है। फॉलिक एसिड से भरपूर हरी सब्जियां और ओमेगा-3 युक्त अलसी, बादाम, बीन्स ले सकते हैं। मिठाई कम खाने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है।
इनसे करें परहेज –
देसी घी, मक्खन और चीज को सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है, जो पूरी तरह सही नहीं है। आप स्वस्थ हैं तो खाने में रिफाइंड ऑयल के साथ-साथ देसी घी, मक्खन, चीज आदि फैट ले सकते हैं, लेकिन 3-4 चम्मच से ज्यादा नहीं। ध्यान रखें कि घी और तेल बहुत पुराना न हो।
सेहत से जुड़ी खास बातें-
खाने के बाद टहलना जरूरी है जो बैड कॉलेस्ट्रॉल को काफी हद तक कम करता है।
ट्रांस फैट्स शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। तेल को बार-बार या बहुत तेज गर्म करने से ये पैदा होते हैं।
एलडीएल बेशक आर्टरीज को ब्लॉक न करे, लेकिन छोटे पार्टिकल्स धमनियों में सूजन पैदा कर सकते हैं।