प्रमुख लक्षण : हड्डियों में दर्द, जोड़ के आसपास सूजन व दर्द, रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत, कमजोर हड्डी के कारण हल्की गतिविधि से भी हड्डी का चटकना, थकान व बिना कारण वजन घटना।
वजहें : अधिकतर मामलों में कारण अज्ञात होते हैं। कुछ मामलों में आनुवांशिकता को वजह माना जाता है।
तीन प्रमुख रूप
विभिन्न अंगों से कैंसर की शुरुआत होने से इसे कई श्रेणियों में बांटा गया है।
ओस्टियोसारकोमा : बच्चों में पैर-हाथ की हड्डी में।
कॉन्ड्रोसारकोमा : उम्रदराज व्यक्तियों (४०-५० वर्ष) में विशेषकर कूल्हे, पैर और हाथ की हड्डियों में।
ईविंग्स सारकोमा : बच्चों व युवाओं में विशेषकर कूल्हे और रीढ़ की हड्डी में।
इन्हें खतरा अधिक : आनुवांशिक रूप से परिवार में किसी को आंख का कैंसर रेटिनोब्लास्टोमा रहा हो। अन्य किसी कैंसर में दिए जाने वाले रेडिएशन के दुष्प्रभाव से भी इस रोग की आशंका रहती है।
पहली स्टेज : कैंसर ट्यूमर का असर कम होता है। शरीर में संक्रमण से बचाव करने वाली सफेद रक्त कणिकाओं से जुड़ी लिम्फ नोड्स व अन्य अंग प्रभावित नहीं होते।
दूसरी स्टेज : कैंसर ट्यूमर जहां होते हैं, असर वहीं होता है। दूसरे अंग बचे रहते हैं।
तीसरी स्टेज : कहीं और फैले बिना ये ट्यूमर अनगिनत रूप से हड्डी में एक जगह फैलते हैं।
चौथी स्टेज : ट्यूमर की संख्या व आकार बढऩे के बाद यह अन्य अंगों को भी चपेट में ले लेता है।
इलाज : इसके इलाज में सर्जरी कर ट्यूमर निकालते हैं। ओस्टियो व ईविंग्स सारकोमा जैसे कैंसर में सर्जरी से पहले और बाद में कीमोथैरेपी को कोर्स चलता है। लिंब सेल्वेज सर्जरी के जरिए कैंसरग्रस्त ट्यूमर वाली हड्डी को हटाकर आर्टिफिशियल या धातु की हड्डी लगाते हैं। बच्चों में ऐसे प्रोस्थेटिक्स लगाते हैं जो उम्र के साथ बढ़ते हैं।