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बीपी के उतार-चढ़ाव से होती है हाइपरटेंशन की समस्या

50-70 तक दिल की धड़कन प्रति मिनट बढ़ जाती है हाइपरटेंशन में। 05-15 एमएम. ब्लड प्रेशर ज्यादा होता जो लोग शराब पीते हैं या तंबाकू खाते हैं। ऐसे में शराब और तंबाकू लेने वाले लोगों को नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना चाहिए। 1.5 ग्राम नमक रोज खाना चाहिए इससे अधिक नमक की मात्रा खाने से सेहत को नुकसान होता है। 03 किमी. की सैर रोज करनी चाहिए। इससे शरीर तरोताजा और फिट बना रहता है।

जयपुरNov 04, 2019 / 02:12 pm

विकास गुप्ता

BP’s fluctuation causes hypertension

ब्लड प्रेशर की शुरूआती तकलीफ को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ब्लड प्रेशर का स्तर लंबे समय तक असंतुलित रहेगा तो शरीर पर उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। नियमित बीपी की जांच कराते रहना चाहिए और डॉक्टरी सलाह पर दवा लेनी चाहिए। सुबह वॉक बहुत जरूरी है। इससे शरीर में फैट नहीं जमता है और ब्लड प्रेशर ठीक रहता है।

इन लक्षणों को पहचानें –
शरीर से पसीना आना और घबराहट होना।
बेचैनी होना, रात को नींद न आना।
गुस्सा, चिड़चिड़ापन और चक्कर आना।
सिर में लगातार लंबे समय से दर्द रहना।
दिल की धड़कन का अचानक बढ़ जाना।
आंखों की रोशनी कम होना, देखने में परेशानी.
मुंह का बार-बार सूखना, अधिक प्यास लगना।
चलने फिरने में तकलीफ रहन लगना।

जांच जरूरी बीपी संबंधी समस्या हो या न हो, साल में एक बार कुछ सामान्य जांचें जरूर करानी चाहिए। इसमें ब्लड प्रेशर, किडनी व लिवर फंक्शन टैस्ट, सीबीसी काउंट, यूरिन टैस्ट, इसीजी शामिल हैं।

खानपान हाइपरटेंशन से बचाव के लिए डैश डाइट जैसे- पपीता, सेब, अंगूर, संतरा, खरबूजा, नाशपाति, अनानास जैसे फल ले सकते हैं। इसी तरह पालक, साग, बथुआ, शलजम आदि खाना ठीक रहता है।

जानें सिस्टोलिक- डिस्टोलिक क्या –
स्वस्थ व्यक्ति का सिस्टोलिक बीपी 130 एमएम जबकि डिस्टोलिक बीपी 80 एमएम होना चाहिए। बीपी का स्तर बिगड़ जाता है तो हाइपरटेंशन की स्टेज होती है। सिस्टोलिक में हृदय पहले सिकुड़ता है और शुद्ध रक्त को पंप कर शरीर में पहुंचाता है। डिस्टोलिक में हृदय फूलता है और अशुद्ध रक्त को अपने भीतर खींचता है और उसे साफ करने का काम करता है। हाइपरटेंशन का समय रहते इलाज न कराया जाए आंखों की नसों और रेटिना पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रक्त प्रवाह में असंतुलन से दिल, लिवर और किडनी पर बुरा असर पड़ता है। चर्बी भी बढ़ती है।

फैट जमने से होता नुकसान –
रिफाइंड तेल को पारदर्शी बनाने और उसमें फैट खत्म करने के लिए कास्टिक सोडे का प्रयोग होता है। यह केमिकल तेल में कुछ हद तक रह जाता है। यह खाने के साथ शरीर में पहुंचता है और फैट बनकर रक्त नलिकाओं में जम जाता है। इससे रक्तवाहिका का लचीलापन खत्म हो जाता है। रक्त प्रवाह धीमा होने से हृदय पर दबाव पड़ता है। सरसों के तेल में कम फैट होता है।

आयुर्वेद में सलाह –
गूग्गल (पौधा जिसमें गोंद होता है) डॉक्टरी सलाह पर प्रयोग करने से रक्त वाहिकाओं में जमी गंदगी साफ करता है। अर्जुन की छाल को दूध में पकाकर लेने से लाभ मिलता है। अश्वगंधा और शतावरी नियमित लें।

ऐसे मापते हैं बीपी –
ब्लड प्रेशर मापने के तीन तरीके हैं। मरीज को पहले लिटाकर, बैठाकर फिर खड़ा करके ब्लड प्रेशर को मापते हैं। ब्लड प्रेशर की तकलीफ होने पर लगातार 15 दिन तक बीपी की मॉनिटरिंग जरूरी होती है।

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