सर्जरी कर निकालते गांठ
स्तन में किसी तरह की गांठ का पता चलने पर उसकी जांच करते हैं। गांठ 5 सेमी. से छोटी है तो सर्जरी कर निकाल देते हैं। यदि आकार इससे बड़ा हो तो कीमोथैरेपी देते हैं। साथ ही रेडियोथैरेपी कर गांठ के आकार और कैंसर कोशिका को फैलने व बड़े होने से रोकते हैं। इसके बाद नियमित सोनोग्राफी और मैमोग्राफी जांच कराई जाती है।देश में एक लाख में से 25 महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आती हैं जिसमें औसतन 17 की मौत हो जाती है।
खुद कर सकते हैं स्तन की जांच
24-45 वर्ष की महिलाएं अपने स्तन की जांच खुद से कर सकती हैं। स्तन को छूने पर किसी तरह की गांठ महसूस हो या स्तन का आकार बड़ा या छोटा हो, निप्पल से खून या सफेद द्रव्य निकले या स्तन पर किसी तरह का घाव या लालिमा दिखे तो नजरअंदाज न करें। ये स्तन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में साल में तीन बार स्तन की मैमोग्राफी जांच करवाएं। 45 के बाद साल में दो बार जांच जरूरी है।
इलाज के बाद लापरवाही न बरतें
कुछ मामलों में ऑपरेशन के बाद रोगी को लिनियर एस्केलेटर मशीन की मदद से कंप्यूटराइज्ड सिकाई दी जाती है। रेडियोथैरेपी में मरीज को पिन-प्वाइंट रेडिएशन देते हैं जिससे शरीर के किसी दूसरे हिस्से या अंग को नुकसान नहीं होता है। ऑपरेशन के बाद मरीज को यह नहीं समझना चाहिए कि वह पूरी तरह ठीक हो गया है। सावधानी बरतना जरूरी है।