मां-शिशु को रोगमुक्त रखती ब्रेस्टफीडिंग
जयपुरPublished: Jun 08, 2019 10:26:20 am
मां का दूध शिशु को बीमारियों से दूर रखता है। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ हर साल लोगों को जागरूक करने के लिए ‘वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वी’ मनाते हैं। शिशु के विकास के लिए जरूरी ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े कई ऐसे मिथ हैं जिनके जवाब जानना जरूरी है। जानिए ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े पांच भ्रम और सच।
नियमित छह माह तक ब्रेस्टमिल्क पिलाना जरूरी है
शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बच्चे को नियमित छह माह तक ब्रेस्टमिल्क पिलाना जरूरी है। यह उसे तंदुरुस्त रखने के साथ मां को भी कई बीमारियों से बचाता है। महिला में ओवेरियन और ब्रेस्ट कैंसर की आशंका न के बराबर हो जाती है। साथ ही बच्चे को क्रॉनिक बीमारियां होने की आशंका भी कम रहती है। जन्म के बाद एक घंटे के अंदर ब्रेस्टफीड कराना बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। छह माह के बाद ब्रेस्टमिल्क के साथ ऊपर का दूध और दलिया, खिचड़ी, दाल का पानी, चावल का मांड आदि देना जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान साथ में यदि छोटा बच्चा है तो उसे दूध नहीं पिलाना चाहिए क्या?
गर्भावस्था का पता चलते ही महिला को दूसरे बच्चे को ब्रेस्टफीड नहीं कराना चाहिए। क्योंकि दूध पिलाने के दौरान ऑक्सीटोसिन हार्मोन रिलीज होता है जिस कारण गर्भस्थ शिशु के समय से पहले जन्म लेने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा नवजात शिशु कमजोर पैदा हो सकता है।
बच्चे का बार-बार रोना भूख लगने का संकेत है, तो क्या ऐसे में उसे बार-बार दूध पिलाना चाहिए?
बच्चे को दिनभर में दो-तीन घंटे के अंतराल में दूध पिलाना जरूरी है। बच्चा किसी अन्य कारणों से भी रो सकता है। अंगूठा चूसना या मुंह खोलना भी भूखे होने का संकेत है। 5-30 मिनट तक दूध पिलाएं।
डायरिया, उल्टी या खांसी से पीडि़त बच्चे को दूध की बजाय इलाज के तौर पर कौन सी दवाएं दें?
ऐसा करना गलत है, मां के दूध में पर्याप्त एंटीबॉडीज होते हैं जो बच्चे की इम्युनिटी मजबूत कर संक्रमण से बचाते हैं। यदि बच्चे की स्थिति फिर भी गंभीर हो जाए तो ओआरएस का घोल दें या डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
यदि महिला किसी भी रोग से जुड़ी दवाएं ले रही है तो वह बच्चे को दूध नहीं पिला सकती?
सामान्य सर्दी-जुकाम, बुखार में महिला दूध पिला सकती है। यदि महिला टेट्रासाइक्लिन, कैंसर, मिर्गी, किडनी ट्रांसप्लांट या रेडियोएक्टिव आयोडीन दवाएं ले रही है तो दूध न पिलाएं। बच्चे की सेहत प्रभावित हो सकती है।
लैक्टोस इन्टॉलरेंस की स्थिति में दूध पिलाने से परहेज करना चाहिए क्या?
ऐसे नवजात जिनमें लैक्टोज एंजाइम की कमी होती है वे मां के दूध को पचा नहीं पाते। इसे लैक्टोस इन्टॉलरेंस कहते हैं। इसलिए ब्रेस्टफीड कराने से बचें ताकि उसे पेटदर्द, दस्त की परेशानी न हो।
– डॉ. के बनर्जी, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ