दर्द नजरअंदाज न करें-
दांतों की सफाई बाहरी व अंदरूनी दोनों रूप में होनी चाहिए। कई बार संक्रमण से दर्द लंबे समय तक रहता है। इसमें दर्दनिवारक व एंटीबायोटिक दवाएं असरहीन हो जाती हैं। हाइजीन को ध्यान में रखते हुए दांतदर्द को मामूली न समझें। यह अंदर ही अंदर किसी बीमारी का रूप ले सकता है।
दो बार ब्रश की आदत-
दांत संबंधी व मसूड़ों का आम रोग है पायरिया। यह दांतों के प्रति लापरवाही से होता है। ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आना लक्षण है। इसमें दांतों के आसपास की मांसपेशियां संक्रमित हो जाती हैं। जिनमें बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने से बदबू आने लगती है।
सफाई का दें पूरा ध्यान-
दांतो में कीड़ा लगना असल में दांतों का कमजोर होना है। इसमें बैक्टीरिया दांतों की परत को हटा देते हैं। नियमित सफाई से बचाव हो सकता है। आमतौर पर कीड़ा लगने का पता नहीं चल पाता। लेकिन दांत में तेज दर्द होने की स्थिति में डॉक्टर से चेकअप के दौरान यह समस्या सामने आती है। इसमें दांत की ऊपरी मजबूत परत कमजोर पड़ने से नष्ट हो जाती है व दांत के अंदर तक का हिस्सा खराब होकर खोखला हो जाता है। ऊपर से सिर्फ काला बिंदु दिखता है। पीछे के दांतों में खाना फंसने से इनमें कीड़ा जल्दी लगता है। सफाई जरूरी है।
टेढ़े-मेढे दांतों पर दें ध्यान –
दांतों के रोगों में उनका टेढ़ा-मेढ़ा होना भी एक बड़ी बीमारी है। आमतौर पर दांतों में तार बांधकर (ब्रेसेज) उन्हें सीधा कर सकते हैं। अक्सर लोग टेढ़े-मेढ़े दांतों पर ध्यान नहीं देते। लेकिन इनका इलाज जरूरी है। इनमें खाना फंसने से बदबू आने और कीड़ा लगने की आशंका बढ़ जाती है। मुंह में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें तंबाकू तो प्रमुख वजह है ही लेकिन दांत यदि नुकीला है और इससे बार-बार गाल या मुंह की चमड़ी कट रही हो तो कैंसर की आशंका रहती है। इसके लिए जरूरी यह है कि नुकीले दांतों को या तो ग्राइंड कर स्मूथ कर दिया जाए या फिर ऐसे दांत को निकाल दिया जाए। इस संबंध में परेशानी होने पर तुरंत दंत चिकित्सक के पास जाकर सलाह ली जानी चाहिए।