टीबी
ट्यूबरक्लोसिस यानी क्षय रोग से ग्रसित कुछ लोगों में भी रात में पसीना आने की समस्या रहती है। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए।
इंफेक्शन
कुछ तरह के बैक्टीरिया के इंफेक्शन की वजह से भी नाइट स्वेट होता है। इसमें हार्ट वॉल्व में सूजन, हड्डियों से जुड़े इंफेक्शन के साथ ही एचआईवी इंफेक्शन भी हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से सलाह लें और उनके बताए टेस्ट जरूर करवाएं ताकि सही कारण पता चल सके।
हाइपोग्लाइसिमिया
ब्लड ग्लूकोज कम होने से भी स्वेटिंग होती है। जो लोग इंसुलिन या ओरल एंटीबायोटिक दवाइयां लेते हैं, उन्हें रात में पसीना आने के साथ ही हाइपोग्लाइसिमिया की समस्या भी होती है।
कैंसर
नाइट स्वेट कैंसर का शुरुआती लक्षण भी होता है। लिंफोमा में यह लक्षण सबसे ज्यादा दिखाई देता है। वजन घटना व बुखार आना भी कैंसर का लक्षण हो सकता है।
दवाइयों से भी
एंंटीडिप्रेसेंट दवाइयों की वजह से यह समस्या होनी आम बात है। बुखार कम करने वाली दवाइयां जैसे एस्प्रिन, एसिटेमिनोफन से भी पसीना आता है।
हार्मोन डिसऑर्डर
स्वेटिंग की यह बीमारी हार्मोनल गड़बड़ी से भी होती है। इनमें कार्सिनॉइड सिंड्रोम, फियोक्रामोसाइटोम आदि शामिल हैं।
मेनोपॉज
अगर आप मेनोपॉज के करीब हैं तो भी रात में पसीना आ सकता है। अगर यही कारण है तो आप स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
आइडियोपैथिक हाइपरहाइड्रोसिस
कई मामलों में रात में पसीना आने की खास वजह नजर नहीं आती जिसे आइडियोपैथिक हाइपरहाइड्रोसिस के नाम से जाना जाता है। इसमें बिना किसी वजह से शरीर से काफी पसीना आने लगता है।