भ्रम : दवाओं से स्वाइन फ्लू के सभी प्रकारों का इलाज होता है?
सच : मौजूदा उपलब्ध दवाइयां स्वाइन फ्लू के प्रकारों पर प्रभावी हैं लेकिन अगर यह वायरस कोई और रूप ले लेता है तो दवाओं का असर व प्रयोग उस स्थिति पर निर्भर करता है।
भ्रम : स्वाइन फ्लू ज्यादा खतरनाक नहीं होता ?
सच : इस रोग का यदि समय रहते ही इलाज न किया जाए तो स्थिति गंभीर होने पर रोगी की मौत भी हो सकती है। छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों में यह वायरस तेजी से फैलता है इसलिए इन लोगों में लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
भ्रम : क्रॉनिक डिजीज होने पर वायरस जल्दी अटैक करता है?
सच : डायबिटीज, किडनी और कैंसर के मरीज आदि के अलावा गर्भवती महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा रहता है। ठीक होने के बाद मरीज को प्रोटीन से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। खुद को कवर रखें, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में न जाएं और डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें।
भ्रम : मास्क लगाने से इस वायरस से सुरक्षित रहेंगे ?
सच : ऐसा करना सभी के लिए जरूरी नहीं। ऐसे लोग जो मरीज के सीधे संपर्क में रहते हैं जैसे डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और मरीज के अटेंडेंट को मास्क जरूर पहनना चाहिए।
भ्रम : खांसी के साथ बुखार होने पर स्वाइन फ्लू का टेस्ट करवाना चाहिए ?
सच : नहीं, सबसे पहले विशेषज्ञ को दिखाएं। मरीज के लक्षणों के आधार पर यदि डॉक्टर को लगता है कि स्वाइन फ्लू के टेस्ट की जरूरत है तभी इसे कराएं। हल्की खांसी होने पर मरीज मुंह पर रुमाल जरूर रखें और इसे रोजाना धोएं। टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करने वाले लोग इन्हें कूड़ेदान में ही फेंके।
भ्रम : यह जानवरों से फैलता है इसलिए डेयरी उत्पाद का प्रयोग न करें ?
सच : फिलहाल यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सांस, खांसने या छींकने के जरिए फैल रहा है इसलिए दूध, दही, छाछ या पनीर आदि का प्रयोग किया जा सकता है।