एंडोमेट्रियोसिस क्या है ?
यह समस्या महिला में प्रजनन अंगों को प्रभावित करती है। जो गर्भाशय में सामान्य रूप से लाइनिंग बनाने वाले एंड्रोमेट्रियम ऊत्तक के गर्भाशय के बाहर बढ़ने के कारण होता है। इसमें माहवारी के दौरान ऊत्तकों में भी ब्लीडिंग होने से ब्लड ओवरी में जमकर गांठ का रूप ले लेता है। एक अनुमान के अनुसार, 10 में से एक महिला को उनके प्रजनन सालों (आमतौर पर 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच) में यह दिक्कत हो सकती है।
इसके लक्षण क्या हैं ?
इसके लक्षण आमतौर पर माहवारी जैसे होते हैं। जैसे माहवारी के दौरान तेज दर्द, क्रॉनिक पैल्विक दर्द, शारीरिक संपर्क के दौरान या बाद में दर्द, पेट के पास या निचले हिस्से में तेज दर्द होता है। इससे पीड़ित महिला को इसके कारण लगातार थकावट रहती है व यूरिन के दौरान परेशानी होती है।
इसकी जांच एवं उपचार क्या हैं ?
रोग की पहचान होने में कई बार सालों का समय लग सकता है। इसका कारण महिलाओं के दर्द को सामान्य मानना है जो मासिक धर्म की अवधि का एक हिस्सा है। एंडोमेट्रियोसिस का पता जनरल एनीस्थिसिया के तहत एक लेप्रोस्कोपी प्रक्रिया से करते हैं। जिसमें डायग्नोसिस और इलाज एकसाथ किया जाता है।
इसका नवीनतम उपचार ?
इसके इलाज में कार्बन डाइऑक्साइड लेजर का इस्तेमाल होने लगा है। जिसे लेप्रोस्कोपी सर्जरी के साथ प्रयोग करते हैं। इसे स्वस्थ ऊत्तकों को अनजाने में होने वाले नुकसान से बचाते हैं।