लाभ : संपूर्ण आहार का काम करेगा। डिब्बाबंद चीजों के दुष्प्रभाव नहीं होंगे।
3 -10 साल : इस उम्र में बच्चियों को सिंगल फूड जैसे ब्रेड, बिस्किट व चपाती आदि की जगह मिक्स मील खिलाएं। जैसे चीज़ सैंडविच, स्टफ्ड परांठा, पालक या मैथी से बनी मठ्ठियां।
लाभ : पोषक तत्त्वों की पूर्ति से बच्ची का उचित विकास होगा।
10-15 साल: इस समय आमतौर पर बच्चियों के पीरियड शुरू होते हैं। इसलिए उनकी डाइट में आयरन फूड शामिल करें क्योंकि इस दौरान ऐसे हार्मोंस व एंजाइम्स बनते हैं जो उनके विकास के लिए जरूरी होते हैं।
लाभ : भविष्य में हार्मोंस संबंधी समस्याओं व मोटापे से बचाव होगा।
15-25 साल: पतले होने या गलत खानपान की लत न पालें। प्रोटीन, कैल्शियम व कार्बोहाइड्रेट को डाइट में शामिल करें।
लाभ : जोड़दर्द, ब्लड प्रेशर व डायबिटीज जैसी दिक्कतें नहीं होंगी।
25-40 साल: शादी, मां बनना जैसे तमाम शारीरिक व मानसिक बदलावों के इस समय में अपने खानपान बदलाव जरूर करें। जैसे यदि जयपुर की किसी महिला की शादी मुंबई में होती है या जॉब के चलते उसे अपना शहर बदलना पड़े तो वहां का खानपान ही डाइट में लेना चाहिए।
लाभ: एसिडिटी और वजन बढऩे जैसी दिक्कतें नहीं होंगी।
़40-60 साल: मेनोपॉज के इस पीरियड में कैल्शियम से भरपूर डाइट लें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
लाभ: अगर आप पहले से कैल्शियम युक्त डाइट नहीं ले रही थीं तो इस समय लेना शुरू कर दें। इससे आप इस दौरान होने वाली समस्याओं का आसानी से मुकाबला कर पाएंगी।
विशेषज्ञ की राय
बंद कमरे की बजाय खुले में व्यायाम करें जैसे वॉक या जॉगिंग आदि।
तनाव न लें।