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हाई ब्लड प्रेशर, दवाइयां और आप

Published: Feb 12, 2018 07:28:09 am

ब्लड प्रेशर यानी बीपी रक्तवाहिनियों की दीवारों पर पडऩे वाले दबाव को कहते हैं। जब धमनियों में रक्तका दबाव बढ़ जाता है तो रक्तके प्रवाह को बनाए…

High blood pressure

High blood pressure

ब्लड प्रेशर यानी बीपी रक्तवाहिनियों की दीवारों पर पडऩे वाले दबाव को कहते हैं। जब धमनियों में रक्तका दबाव बढ़ जाता है तो रक्तके प्रवाह को बनाए रखने के लिए हृदय को ज्यादा धडक़ना पड़ता है, इसे हाइपरटेंशन या हाई बीपी कहते हैं।

ये बढ़ाते हैं मुसीबत

तनाव, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई सोडियम का सेवन, जरूरत से ज्यादा गुस्सा और मोटापा हाई बीपी के प्रमुख कारण हैं।

इन पर पड़ता है असर

लगातार बढ़ता बीपी आपके दिल, दिमाग, आंखों और किडनी को भी प्रभावित करता है।

हाइपरटेंशन के प्रकार

हाई ब्लड प्रेशर दो प्रकार का होता है प्राइमरी हाइपरटेंशन और सेकेंडरी हाइपरटेंशन।

फिजिशियन डॉ. जी. डी. पारीक के अनुसार प्राइमरी हाइपरटेंशन फैमिली हिस्ट्री होने पर होता है। जिसके लिए व्यक्तिको डॉक्टरी सलाह से आजीवन दवाइयां लेनी पड़ती हैं। जबकि सेकेंडरी हाइपरटेंशन थायरॉइड, किडनी रोग या ब्रेन ट्यूमर आदि रोगों के कारण होता है। संबंधित बीमारी का इलाज करके सेकेंडरी हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है।

ऐसा करना गलत

जब डॉक्टर दवा लिखते हैं तो 5-6 दिन बाद आने के लिए कहते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में मरीज डोज खत्म होने के बाद दवा लेना बंद कर देते हैं या वही दवा अपनी मर्जी से लेने लगते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि फॉलोअप के दौरान डॉक्टर जांच कर पता लगाते हैं कि पहले दिए सॉल्ट से बीपी कंट्रोल हुआ या नहीं। सुधार न होने पर डॉक्टर दूसरे सॉल्ट का प्रयोग करते हैं। कई बार व्यक्तिकी मेडिकल स्थिति के हिसाब से 3-4 गोलियां भी देनी पड़ती हैं।

डॉक्टर की सुनें

बीपी कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह को मानें जैसे नियमित व्यायाम करें, डाइट कंट्रोल करने के साथ-साथ तली-भुनी चीजों से परहेज करें, नमक की कम से कम मात्रा लें। इसके अलावा व्रत आदि के दिनों में भी नियमित रूप से दवाएं लेनी चाहिए।

नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत शर्मा के अनुसार रात में सोने से पहले हल्के गुनगुने पानी में कम से कम दस मिनट तक पैरों को डालकर रखें। इसे सौम्य पाद स्नान कहते हैं, जिससे हाई बीपी में लाभ होता है।

ये व्यायाम होते हैं उपयोगी

बीपी कम करने के लिए खाने के दो घंटे बाद लौकी का जूस फायदेमंद होता है।

शवासन : 10-15 मिनट
भ्रामरी प्राणायाम : 2 मिनट
मेडिटेशन : 10-15 मिनट
अनुलोम-विलोम : 2 मिनट

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