परीक्षा के दौरान बच्चों में तनाव आम समस्या है। माता-पिता के ज्यादा पढऩे व बेहतर नंबर लाने के दबाव से बच्चे स्ट्रेस में आ जाते हैं। ऐसे में वे कैसे तनाव से बचें और अभिभावक बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें कि वे बिना किसी दबाव के अच्छा प्रदर्शन कर सकें। जानें एक्सपर्ट से-
जयपुर•Feb 09, 2020 / 03:23 pm•
Ramesh Singh
बच्चों के साथ अभिभावक सूझ-बूझ से पेश आएं
बच्चों को बोर्ड परीक्षा (BOARD EXAM) में अच्छे नंबर लाने की होड़ में उनमें तनाव के साथ-साथ चिडचिड़ापन भी देखा जाता है। ऐसे में माता-पिता को समझने की जरूरत है कि हर बच्चे के पढऩे का तरीका, अपनी क्षमता होती है इसलिए दूसरे बच्चों से तुलना करना बच्चे में हीनभावना को बढ़ावा दे सकता है। माता-पिता को सूझबूझ व समझदारी के साथ बच्चों से पेश आना चाहिए।
बच्चों में हार्मोनल चेंज
दसवीं-बारहवीं के बच्चों में बढ़ती उम्र से जुड़े हॉर्मोनल बदलावों की वजह से चिंता और तनाव जैसी भावनाएं आने लगती हैं। इसके अलावा बोर्ड परीक्षाओं का भी दबाव होने से समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में बच्चे से जरूरत से ज्यादा उम्मीद रखने से बच्चों का मनोबल और एकाग्रता की कमी होने लगती है। उन्हें लंबे समय तक अकेला न छोड़ें। किसी विषय में परेशानी होने पर झल्लाने की बजाए समझाएं और कुछ देर बाद पढ़ाएं।
ध्यान दें : घर का माहौल सही रखें। सिर्फ ट्यूशन के सहारे न छोडं़े, उनसे बीच-बीच में स्कूल, पढ़ाई की बातें और किताबें जांचते रहे।
तनाव : मन की स्थिति-परिस्थिति के बीच सामंजस्य में कमी से तनाव होता है। मन व शरीर पर गहरा असर पड़ता है। एनर्जी की कमी, एकाग्रता घटती है। यह तनाव व अवसाद में बदल सकता है।
मनोबल बढ़ाते रहें
– ज्यादा नंबर का दबाव न डालें।
– बच्चे की तुलना दूसरे से न करें।
– हर समय बच्चे से पढ़ाई से संबंधित ही बातें न करें।
– भावनात्मक सहारा दें, बच्चे से कभी नाकामियों की बात न करें।
– लगातार पढ़ाई से याद करने में समस्या न हो इसलिए छोटा ब्रेक लें और उसका मनोबल बढ़ाएं।
एक्सपर्ट : डॉ. आर. के. सोलंकी, मनोचिकित्सक, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर
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