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सिर्फ पांच मिनट करें ये क्रिया सर्दी-जुकाम भाग जाएगा

locationजयपुरPublished: Apr 12, 2019 06:09:25 pm

Submitted by:

Ramesh Singh

श्वसन प्रणाली को ठीक रखने और नासिका के मार्ग से विषाक्त पदार्थों को दूर करने के लिए जल नेति क्रिया का अभ्यास किया जाता हैं। सामान्यत: एक से दो सप्ताह तक नियमित करने से सर्दी-जुकाम की तकलीफ में आराम मिलता है। इस क्रिया का अभ्यास अपने मन से न करें।

jal neti

सिर्फ पांच मिनट करें ये क्रिया सर्दी-जुकाम भाग जाएगा

योग कठिन प्रयासों के माध्यम से मानव प्रकृति के अनेक भिन्न-भिन्न तत्वों के अनुशासन द्वारा इन्द्रिय व मन के नियंत्रण करने की प्रणाली है। योग मनुष्य को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाता हैं। योग क्रियाओं से मनुष्य शारीरिक व मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ रख सकता हैं। योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के विशेष उपचारों से शरीर को आंतरिक रूप से साफ रखा जा सकता है। जैसे- एनिमा, कुंजल क्रिया, वाष्प स्नान, पंक स्नान, जल नेति आदि। वर्तमान में एक सामान्य बीमारी श्वसन रोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है। एलर्जी, जुकाम, नजला, अस्थमा, नाक व श्वास से जुड़े रोग हैं। इन बीमारियों व संक्रमण को जल नेति क्रिया के नियमित अभ्यास से रोका जा सकता है। इसके अलावा यह विभिन्न अन्य तकलीफों में भी कारगर है।
ऐसे करेंगे जल नेति क्रिया तो मिलेंगे पूरे फायदे
1- एक लीटर गुनगुने साफ जल में 10 ग्राम सेंधा नमक डालकर तैयार कर लें।
2- पैरों को एक दूसरे से समान दूरी पर रखते हुए बैठ जाएं।
3- जल नेति पात्र की नली को दायीं नासिका छिद्र में लगाकर बायीं ओर की नासिका को थोड़ा नीचे रखते हुए श्वांस की क्रिया मुख से करें।
4- सिर को आगे की ओर व बायीं ओर झुकाएं ताकि जल दाएं नासिका छिद्र में प्रवेश करते हुए बायींं नासिका से जल स्वत: बाहर निकलने लगे।
5- जल नेति क्रिया को बायीं नासिका छिद्र से दोहरायें।
6- नासिका छिद्र में बचे हुए जल को बाहर निकालने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम करें। ताकि नासिका से पानी बाहर निकले।
7- नासिका को सुखाने के लिए अग्निसार क्रिया करें।
नियमित करने से मिलते ये लाभ
1- नजला, जुकाम, साइनस, कफ, अस्थमा, खांसी आदि बीमारियों में बेहद कारगर है।
2- नेत्र विकार, बालों की समस्या, सिर दर्द, याददाश्त में कमी है तो इस क्रिया का नियमित अभ्यास करें।
धूल से एलर्जी में कारगर
बच्चों में : मौसम बदलने पर जुकाम, सर्दी होता है तो आराम मिलेगा। अस्थमा, साइनस से हमेशा के लिए आराम मिल सकता है।
युवाओं में : धूल से एलर्जी और ठंडे गरम से दिक्कत ज्यादा होती है तो आराम मिल सकता है। एक माह तक करें। मौसम बदलने के दौरान इसे करने से कोई दिक्कत नहीं होती है।
बुजुर्गों में : मोटापे से ग्रस्त व बुर्जुगों को सांस व थायराइड की समस्या में फायदेमंद। आंखों की कमजोरी में भी आराम मिलता है।
ये सावधानियां भी हैं जरूरी
जल नेति क्रिया का अभ्यास किसी प्राकृतिक चिकित्सक या योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही करें।
सुबह के समय खुले, शांत वातावरण में करें।
इसका अभ्यास करते समय श्वांस मुंह से ही लें, नहीं तो दिक्कत हो सकती है।
अभ्यास करते समय मन को शांत रखें। किसी प्रकार की जल्दबाजी न करें।
– डॉ. देवाराम काकड़, निदेशक योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर

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