ये हैं कारण : मोटापा (२५ से अधिक बीएमआई वाले लोग), आनु वांशिकता, अत्यधिक सीढिय़ां चढऩा, सही तरह के जूते-चप्प लों का प्रयोग न करना, जोड़ों में फ्रेक्चर, कैल्शि यम, विटा मिन-डी व प्रोटीन की कमी आदि ।
लक्षण व जांच : घुटनों में अकडऩ, दर्द व आवाज, चाल में टेढ़ापन, सीढिय़ां चढऩे-उतरने में दिक्कत आदि प्रमुख लक्षण हैं । एक्स-रे से इसकी पहचान हो जाती है ।
उपचार : प्रारंभिक स्थिति में फिजियोथैरेपिस्ट की मदद से कुछ व्यायाम करके व डॉक्टर की सलाह से कुछ दवाएं लेकर इसे काबू किया जा सकता है। लेकिन समस्या गंभीर होने पर घुटनों में कार्टिलेज घिसने से टेढ़ापन आने लगता है । ऐसे में विशेषज्ञ घुटने के प्रत्यारो पण की सलाह देते हैं ।
बचाव के तरीके : मोटापा दूर करने के लिए रोजाना व्यायाम करें व 3-4 किलोमी टर टहलें । भारी शरीर वाले जॉगिंग से बचें वर्ना कार्टि लेज टूटने की आशंका रहती है । १५ मिनट तक एक ही अवस्था में खड़े न रहें, थोड़ी देर के लिए कोई अन्य शारी रिक गति विधि करें या बैठ जाएं ।
चलने-फिरने के लिए स्पोट्र्स शूज का प्रयोग करें । विटा मिन-डी की कमी दूर करने के लिए पर्याप्त धूप लें । कैल्शि यम व प्रो टीन के लिए दूध व दूध से बनी चीजें, अंकु रित अनाज, सोयाबीन, फल व हरी सब्जियां आदि लें । जंक फूड व अधिक तले-भुने पदार्थों से परहेज करें ।