वर्कआउट से पहले वार्मअप और बाद में पोस्ट एक्सरसाज रेस्ट जरूरी है। इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है। यदि वार्मअप के बिना वर्कआउट करते हैं तो इंजरी हो सकती है। बोन इंजरी होने पर तुरंत सूजन आती है। यदि सूजन नहीं आती है और खड़े होने में तेज दर्द हो रहा है तो लिगामेंट इंजरी यानी ट्विस्ट इंजरी होती है। सूजन एक से पांच दिन में आ सकती है।
कार्टिलेज इंजरी में भी दर्द –
कार्टिलेज में इंजरी से भी घुटनों में दर्द होता है। कार्टिलेज चिकनी सतह होती है। इंजरी होने पर यह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसे री जनरेट कर री प्लांट करते हैं।
एक्सरे से पता नहीं चलता –
लिगामेंट इंजरी हुई है तो यह एक्सरे में नहीं आती है। इसके लिए एमआरआई जांच कराते हैं। यदि माइनर इंजरी है तो दवाओं व फिजियोथैरेपी से ठीक होती है। कम्प्लीट इंजरी होने पर दूरबीन से सर्जरी करते हैं। लिगामेंट इंजरी में इलाज चोट के आधार पर करते हैं। यदि मरीज युवा है और स्पोट्र्स या डांस जैसी एक्टिविटी में रहता है तो आर्थोस्कोपिक सर्जरी करते हैं।