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बच्चों की कम लंबाई और अविकसित दिमाग के लिए जिम्मेदार है ये हार्मोन

locationजयपुरPublished: Feb 21, 2019 01:30:43 pm

बच्चों में मुख्यत: दो प्रकार के हार्मोंस होते हैं थायरॉइड व ग्रोथ हार्मोंस। जानते हैं इनके बारे में।

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बच्चों में मुख्यत: दो प्रकार के हार्मोंस होते हैं थायरॉइड व ग्रोथ हार्मोंस। जानते हैं इनके बारे में।

बच्चों की लंबाई कम रहने और मानसिक विकास ठीक से न हो पाने का मुख्य कारण हार्मोंस की कमी है। यह कमी जन्म से ही होती है जो बीमारी का कारण बनकर जीवनभर बच्चे को झेलनी पड़ती है। बच्चों में मुख्यत: दो प्रकार के हार्मोंस होते हैं थायरॉइड व ग्रोथ हार्मोंस। जानते हैं इनके बारे में।

थायरॉइड हार्मोंस –
ये हार्मोन मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित रखते हैं। यदि जन्म के बाद इस हार्मोन की कमी होती है तो बच्चे का दिमागी विकास प्रभावित होता है और शिशु मंदबुद्धि हो सकता है। जन्म के दो साल के भीतर बच्चे का दिमागी विकास हो जाता है लेकिन तीन साल की उम्र के बाद अगर उसमें हार्मोन की कमी होती है तो उसके मानसिक विकास की बजाय शारीरिक विकास जैसे लंबाई व वजन प्रभावित होने लगते हैं।

लक्षण: बच्चा जन्म के समय स्वस्थ होता है लेकिन इस हार्मोन की कमी के लक्षण 2-3 माह बाद सामने आने लगते हैं। हाइपोथायरॉइडिज्म में बच्चे को अंबलाइकल हर्निया (नाभि का फूलना), कब्ज, लंबे समय तक पीलिया, रोने की क्षमता प्रभावित होकर शारीरिक गतिविधियां कम होने लगती हैं।जांच : टी-थ्री, टी-फोर, टीएसएच जांचों के अलावा जरूरत पड़ने पर स्कैन और सोनोग्राफी भी की जाती है।
इलाज: हार्मोंस की इस कमी को दवाओं से नियंत्रित किया जाता है। हार्मोंस की गड़बड़ी होने पर बच्चे को नियमित दवाएं दें और उसका वजन न बढऩे दें।

ग्रोथ हार्मोंस –
इस हार्मोन की कमी जन्मजात होती है। इसमें जन्म के बाद पिट्यूटरी गंथ्री की बनावट में विकृति से हार्मोन कम बनते हैं।
लक्षण : रक्त में शुगर की कमी, लंबे समय तक पीलिया, कम लंबाई और उम्र से कम लगना।
जांच : ग्रोथ हार्मोन लेवल ब्लड से बेसिल एंड स्टीम्यूलेटेड, एमआरआई व म्यूटेशन एनालिसिस की जांच की जाती है।
इलाज : इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
अन्य वजह : कई बार चोट लगने, बे्रन ट्यूमर का ऑपरेशन, रेडियोथैरेपी या कीमोथैरेपी व पिट्यूटरी ग्रंथि के क्षतिग्रस्त होने से भी हार्मोंस की कमी होती है।

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