स्किन ड्राइनेस –
सर्दियां शुरू होते ही शरीर में जो पहला बदलाव होता है, वह है स्किन ड्राइनेस। ड्राई स्किन को मॉइश्चर नहीं किया जाए तो त्वचा में खुजली और लाल चकते होने लगते हैं। त्वचा रूखी होकर फटने लगती है। कई बार फटी त्वचा से खून भी निकलने लगता है।
कारण : ठंडक बढऩे व वातावरण में नमी कम होने से।
उपाय : नहाने के बाद मॉइश्चराइजर, वैसलीन या नारियल तेल लगाएं।
निमोनिया और बुखार –
बदलते मौसम के साथ सिर भारी रहने, शरीर गर्म होने, गला जाम होने जैसे लक्षण आम होते हैं। बच्चों में निमोनिया व कफ जमने की दिक्कत ज्यादा होती है।
कारण : बदलते मौसम में हम ठंडा पानी पीना, खुली हवा में कम कपड़ों में बाहर निकल जाना, बाहर से आते ही पंखा चला लेना जारी रखते हैं।
उपाय : बुखार, सर्दी-जुकाम होने पर खुद से ही दवाएं न लें बल्कि डॉक्टर से संपर्क करें।
सांस की तकलीफ –
बुजुर्गों व अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है।
कारण : ठंडी हवा व वायु प्रदूषण का फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। इस समय सबसे ज्यादा दमे की तकलीफ होती है।
उपाय : धूल व धुएं से बचें। तकलीफ बढऩे पर डॉक्टर को दिखाएं।
न फटें एड़ियां –
सर्दी के मौसम में एड़ियां फटने लगती हैं। कई बार इनसे खून भी निकलने लगता है।
कारण : ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाना, नंगे पैर रहना, पैरों की साफ-सफाई का ध्यान न रखना।
उपाय : पैरों की डेड स्किन हटाएं और हमेशा साफ सूती जुराबें पहनें।
दिल की बीमारियां –
बढ़ती सर्दी के साथ दिल की बीमारियां भी परेशान करने लगती हैं। बुजुर्गों में हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा खतरा रहता है।
कारण : शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखने के लिए दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है। नसों के संकुचन से रक्त संचार भी प्रभावित होता है जिससे हार्ट अटैक हो सकता है।
उपाय : बुजुर्गों को सुबह-सुबह उठने, ठंडे पानी से नहाने और सैर पर जाने की आदत में मौसम के हिसाब से बदलाव करना चाहिए।
पेट में गड़बड़ी –
सर्दी में खानपान की वैरायटी बढ़ने से लोग हैवी डाइट लेते हैं जिससे पाचनतंत्र गड़बड़ा जाता है। इससे बचने के लिए ओवरईटिंग न करें।
पर्याप्त तरल लें –
सर्दी के दिनों में लोग चाय, कॉफी ज्यादा और पानी कम पीते हैं जिससे डिहाइड्रेशन होने लगता है। इनकी बजाय आप सूप या जूस प्रयोग कर सकते हैं। सब्जियां जैसे पालक, गाजर, बथुआ, मैथी आदि में प्राकृतिक रूप से पानी होता है, इन्हें अपने आहार में शामिल करें।