शोध में पता चला कि एक हफ्ते से भी कम उम्र के बच्चों में भी लोरी के सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले हैं। मां की लोरी सुनकर ऐसे शिशुओं के दर्द में भी कमी आई, जो हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए अस्पताल में भर्ती थे।
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बच्चे रहते हैं रिलेक्स –
आत्मा तक पहुंचने वाली आवाज से बच्चों का ध्यान अपनी परेशानियों से हट जाता है, जिससे वह रिलेक्स रहते हैं
किस्से-कहानियों, तस्वीरें दिखाना और जानवरों की आवाज का कोई प्रभाव शिशुओं पर नहीं होता है।