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कमर में दर्द, पोश्चर पर दें ध्यान

locationजयपुरPublished: May 18, 2018 05:48:54 am

कमर दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी पीठ की हड्डियां, मांसपेशियां और लिगामेंट्स किस तरह काम करते हैं

कमर दर्द

कमर दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी पीठ की हड्डियां, मांसपेशियां और लिगामेंट्स किस तरह काम करते हैं और किस तरह एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। हमारी पीठ में करीब 200 मसल्स होती हैं जो सही पोश्चर बनाए रखने में सहायक होती हैं। कमर दर्द की मुख्य वजह रीढ़ की हड्डी से जुड़ा होता है।

दरअसल हमारी रीढ़ की हड्डी में हर दो वर्टिब्रा के बीच एक ***** होती है जो किसी तरह का झटका सहने का काम करती है। आगे-पीछे, दाएं बाएं घूमने के दौरान ***** का फैलाव भी होता है, जिससे हम सही तरीके से मूवमेंट कर पाते हैं। लेकिन जब हमारा पोजिशन गलत होता है यानी हम गलत तरीके से उठने-बैठने, पढऩे झुकने या काम करने लगते हैं तो ***** पर लगातार जोर पडऩे लगता है। इससे रीढ़ की हड्डी की नसों पर दबाव आने लगता है। जो कमर दर्द का कारण बन जाता है।


बीमारी का भी हो सकता है संकेत
कमर की मांसपेशियों में खिंचाव, अकडऩ, चुभन, चलने, उठने बैठने में परेशानी और कमर के आसपास के अंगों में दर्द के साथ मांसपेशी में ऐंठन जैसे लक्षण को हल्के में नहीं लेना चाहिए। कई बार कमर दर्द गंभीर बीमारियों का भी संकेत देता है। कमर दर्द की वजह किडनी में समस्या या पथरी भी हो सकती है।

नर्वस सिस्टम संबंधी परेशानियां और रीढ़ की हड्डी में होने वाले इंफेक्शन से भी कमर दर्द की शिकायत रहती है। लगातार दर्द बने रहने पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। कुछ लोगों को सुबह-शाम कमर दर्द की शिकायत रहती है तो किसी को हमेशा दर्द रहता है। कई बार कमर दर्द के साथ एडिय़ों और मांसपेशियों में सूजन की भी शिकायत होने लगती है। कई बार कमजोरी भी इसकी वजह होती है। हाइपरटेंशन और डायबिटीज के रोगियों में भी कमर दर्द की समस्या रहती है।

इनसे जरा रहें बचकर
कंधे पर भारी बैग लटकाकर घूमने से भी कमर दर्द की समस्या बढ़ती है। बैग का वजन शरीर के वजन का 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। दरअसल इससे बॉडी खासकर स्पाइन का बैलेंस खराब होता है।


खड़े रहने के मुकाबले लगातार बैठे रहने से हमारी रीढ़ की हड्डी पर 50 फीसदी से ज्यादा दबाव पड़ता है। ऐसे में बीच-बीच में उठना और स्टेच करना जरूरी होता है। इसके अलावा नीचे से कोई भी चीज उठाने के लिए कमर मोड़ कर न झुकें बल्कि घुटने मोड़ें। इससे कमर पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा।


पुराना गद्दा या मैटे्रस भी कमर में दर्द की एक वजह बन जाती है। मैटे्रस पुराना हो जाने पर कमर को पूरा सपोर्ट नहीं मिल पाता है जिससे दर्द होने लगता है।


कैल्शियम की कमी और ज्यादा वजन भी कमर दर्द की एक वजह है। ऐसे में हाई कैलोरी और कम न्यूट्रीशन वाले खाने से बचना चाहिए। कैल्शियम का भरपूर सेवन करना चाहिए।


एक्सरसाइज नहीं करने से भी कमर की मसल्स कमजोर हो जाती हैं। कमर और पेट के निचले हिस्से को मजबूत बनाने के लिए नियमित एक्सरसाइज करना चाहिए।

ये हैं कारण
सुस्त जीवनशैली और अनियिमित रुटीन।
एक ही जगह बैठकर काम करना।
गलत तरीके से बैठना, चलना या उठना।
अचानक झुकना, वजन उठाना।
झटका लगना।
शारीरिक गतिविधियां नहीं होना।
हड्डियों का कमजोर होना।
फिसलना, गिरना या चोट लगना।
विटामिन डी की कमी।
अत्यधिक वजन होना।
मेनोपॉज के बाद का लक्षण।

ऐसे मिल सकती है राहत
लहसुन
कमर दर्द में लहसुन लाभदायक होता है। अपने खाने में लहसुन का सेवन करें या कच्चा लहसुन खाएं। तेल में लहसुन मिलाकर भी मसाज किया जा सकता है। इसके लिए तेल को गर्म करें और उसमें दो-तीन

लहसुन डालें और ठंडा करके तेल से मसाज करें।
हल्दी दूध का सेवन
कमर दर्द के अलावा शरीर के अन्य दर्द और जोड़ों के दर्द से भी हल्दी दूध राहत पहुंचाता है।
नियमित मसाज
मसाज से दर्द से राहत मिलने के साथ ही स्टेस से भी छुटकारा मिलता है। बेहतर परिणाम के लिए डॉक्टर की सलाह पर किसी ऑइंटमेंट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।


बर्फ का सेक
दिन में तीन या चार बार आइस का पैक लगाएं। इससे दर्द से राहत मिलने के साथ ही सूजन भी कम होती है।


कपड़ों का सही चुनाव
कपड़ों का असर भी कमर पर पड़ता है। दरअसल कई बार स्किन टाइट जींस या अन्य कपड़े भी निचले कमर दर्द का कारण बन जाते हैं। ऐसे में फैशन से ज्यादा कंफर्ट का ध्यान रखना चाहिए।


सोने का सही तरीका
कई बार सोने का तरीका सही नहीं होने पर भी कमर दर्द होने लगता है। सोते समय कमर सीधी होनी चाहिए। करवट सोते वक्त घुटनों के नीचे तकिया लगाएं और सिर के नीचे ज्यादा मोटा तकिया न रखें।


योग करें
नियमित तौर पर योग या एक्सरसाइज करें। स्ट्रेचिंग, फ्लैक्सिबिलिटी और स्ट्रेंथ पर जोर देने दर्द से भी राहत मिलती है और कमर दर्द की समस्या से दूरी भी बनी रहती है।

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