बच्चे की आस में डिलीवरी जल्दी होने के बारे में जरूरत से ज्यादा न सोचें, धैर्य बनाए रखें। कुछ मामलों में ज्यादा तनाव लेने से भी वजन बढ़ता है। डाइटिंग न करें। जिम जाकर वजन कंट्रोल करना चाहती हैं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह लें। एक्सरसाइज के दौरान हैवी और पेट पर दबाव देने वाले वर्कआउट न करें। इनके बजाय स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को अपना सकती हैं।
एक बार में पूरी डाइट न लें। इसके बजाय भोजन को दो-तीन बार करके खाएं।
जरूरत से ज्यादा शुगर न लें। मौसमी, सेब व अनार जैसे मौसमी फल खाएं।
जिन खट्टी, मीठी चीजों को बार-बार खाने की इच्छा हो उन्हें कम ही खाएं।
शरीर में पानी की कमी न होने दें। दिनभर में ८-१० गिलास पानी जरूर पीएं।
रुटीन के काम को करती रहें जैसे घर की साफ-सफाई, कुकिंग, गार्डनिंग आदि।
योग और स्ट्रेचिंग जैसे हल्के व्यायाम नियमित रूप से करने की आदत डालें और इन्हें जारी रखें।
डॉक्टर द्वारा बताए गए डाइट चार्ट को रेगुलर फॉलो करें।
रोजाना ३० मिनट वॉक करें।
पेट से जुड़ी मांसपेशियों की मजबूती के लिए प्रसव के डेढ़ माह बाद से योग व प्राणायाम (शशांकासन, सवासन, भ्रामरी, अनुलोम-विलोम) करें।
फलियां, दालें, अंकुरित अनाज जैसी फाइबर डाइट लें।
प्रसव के बाद पहले छह माह तक ब्रेस्टफीडिंग जारी रखें। इससे कैलोरी और वजन कंट्रोल रहेगा।
तला-भुना, मसालेदार व बाजार के खानपान से परहेज करें।
किसी भी समय का भोजन टालने की आदत न बनाएं।
पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें।
नारियल व नींबू पानी के अलावा ग्रीन-टी भी पी सकते हैं। ये शरीर में पानी की पूर्ति करने और वजन घटाने में मदद करेंगे।
मिठाई, चीनी, नमक और तेल-घी सीमित मात्रा में ही लें।