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बच्चेदानी का खिसकना नुकसानदायक तो नहीं

महिलाएं आमतौर पर जिन लक्षणों को नजरअंदाज करती रहती हैं, कई बार वही समस्याएं गंभीर रूप ले लेती हैं। इसलिए…

Aug 01, 2018 / 05:15 am

मुकेश शर्मा

uterus

महिलाएं आमतौर पर जिन लक्षणों को नजरअंदाज करती रहती हैं, कई बार वही समस्याएं गंभीर रूप ले लेती हैं। इसलिए इनके प्रति लापरवाही न बरतें।

कभी-कभी पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों में कमजोरी आने से महिलाओं में गर्भाशय खिसककर नीचे आने की समस्या हो जाती है। कुछ महिलाओं में यह जननांग के पास या बाहर भी आ सकता है। इस अवस्था को बच्चेदानी का बाहर आना, यूट्रस प्रोलैप्स या डिस्प्लेस्मेंट ऑफ ओवरी भी कहते हैं। ऐसे में कई बार मूत्राशय और आंत पर दबाव पडऩे से ये अंग भी नीचे खिसकने लगते हैं।

प्रमुख लक्षण

पेट के नीचे के हिस्से में भारीपन महसूस होना, योनिद्वार के बाहर किसी प्रकार की संरचना नजर आना, मल-मूत्र त्यागने में परेशानी, सिरदर्द, कमरदर्द, बार-बार पेशाब आना, कब्ज और चलने में तकलीफ होने जैसे प्रमुख लक्षण होने लगते हैं।

ये हैं वजह

बार-बार गर्भधारण, बढ़ती उम्र में मांसपेशियों का कमजोर होना, मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी, लंबे समय तक खांसी, अत्यधिक या भारी वजन उठाना, गर्भाशय के पास किसी प्रकार की चोट, कब्ज या बवासीर के कारण भी यह परेशानी हो सकती है।

जांच व उपचार

स्त्री रोग विशेषज्ञ समस्या की गंभीरता या रोग की स्थिति के आधार पर पेल्विक जांच करवाती हैं। बीमारी का पता चलने के बाद दवाओं या सर्जरी करने का फैंसला लिया जाता है। सर्जरी के बाद जरूरी एहतियात बरतने के लिए कहा जाता है।

ध्यान रहे

बार-बार प्रेग्नेंसी व गर्भपात से बचें, वजन न बढऩे दें, पेट साफ रखें और कब्ज न होने दें। फाइबर युक्त भोजन जैसे फल, दालें, मक्का, पालक आदि खाएं। मेनोपॉज के बाद किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर डॉक्टर से संपर्क कर उचित उपचार लें। डॉक्टरी सलाह से नियमित रूप से व्यायाम करें।

लक्षण होने पर घबराएं नहीं और स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर उन्हें अपनी तकलीफ के बारे में विस्तार से बताएं।

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