बढ़ती उम्र, बैठने का गलत तरीका, व्यायाम न करना, खराब जीवनशैली, मोटापा, धूम्रपान, शराब का सेवन, अनियंत्रित डायबिटीज, थायरॉइड, बढ़ा हुआ यूरिक एसिड और कोलेस्ट्रॉल, स्पॉन्डिलाइटिस के प्रमुख कारण हैं। जिसमें पीठ और गर्दन में तेज दर्द होता है।
ध्यान रखें –
कुछ बातों का ध्यान रखकर हम स्वयं को इस बीमारी से बचा सकते हैं जैसे कि सही ढंग से बैठना, नियमित व्यायाम और सेहतमंद भोजन करना। सर्दी में गर्म कपड़े पहनना और दर्द वाले हिस्सों पर सिकाई करना भी लाभदायक होता है। जीवनशैली, शुगर, यूरिक एसिड व कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखकर स्पॉन्डिलाइटिस से बचा जा सकता है।
इलाज से राहत –
स्पॉन्डिलाइटिस के इलाज में अल्ट्रासोनिक मसाज, शॉर्ट वेव व मीडियम वेव डायाथर्मी, इंटरफेरेंशिअल थैरेपी, एक्यूपंचर व एक्यूप्रेशर, व्यायाम आदि के साथ दवाओं से मरीज का इलाज किया जाता है। इससे कम हो चुके जैल को बढ़ाया जाता है। जो मरीज सिहरन या सुन्नता से पीड़ित हों, उनका ऑपरेशन के बिना भी अन्य तरीकों से इलाज किया जा सकता है।
ऑपेरशन होने पर…
यदि मरीज का ऑपरेशन करना भी पड़े (फै्रक्चर आदि होने पर) तो यह कम से कम चीरा लगाए, एंडोस्कोपिक व खास सूक्ष्म औजारों से किया जा सकता है। यह ‘कीहोल’ ऑपरेशन कम आयु के लोगों व बुजुर्गों के लिए सुरक्षित होता है।