अलग – अलग इलाज के लिए इन रंगों की कांच की बोतल में पानी भरकर और उसके ऊपर लकड़ी का कॉर्क (ढक्कन) लगाकर सूर्योदय के समय लकड़ी के पटरे पर रख दिया जाता है और सूर्यास्त के समय इस पानी को उठा लिया जाता है। इस पानी को दिन में कभी भी पी सकते हैं। यह प्रयोग कई तरह के रोगों को दूर करता है।
– अगर सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार है तो लाल, पीले व नारंगी रंग की बोतल में पानी भरकर रखें।
– शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी है तो हरे रंग की बोतल का इस्तेमाल करें।
– नीली, आसमानी या बैंगनी रंग की बोतल के प्रयोग से एसिडिटी, अल्सर, ब्लड प्रेशर व पेट संबंधी रोगों में आराम मिलता है।
– शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी है तो हरे रंग की बोतल का इस्तेमाल करें।
– नीली, आसमानी या बैंगनी रंग की बोतल के प्रयोग से एसिडिटी, अल्सर, ब्लड प्रेशर व पेट संबंधी रोगों में आराम मिलता है।