कैसे फैलता है : पिस्सू के काटते ही उसके लार में मौजूद एक खतरनाक जीवाणु रिक्टशिया सुसुगामुशी मनुष्य के रक्त में फैल जाता है। सुसुगामुशी दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है सुसुगा : छोटा व खतरनाक और मुशी मतलब माइट। इसकी वजह से लिवर, दिमाग व फेफड़ों में कई तरह के संक्रमण होने लगते हैं और मरीज मल्टी ऑर्गन डिसऑर्डर के स्टेज में पहुंच जाता है।
इन्हें ज्यादा खतरा : पहाड़ी इलाके, जंगल और खेतों के आस-पास ये पिस्सू ज्यादा पाए जाते हैं। लेकिन शहरों में भी बारिश के मौसम में जंगली पौधे या घने घास के पास इस पिस्सू के काटने का खतरा रहता है।
लक्षणों को पहचानें : पिस्सू के काटने के दो हफ्ते के अंदर मरीज को तेज बुखार (१०२-१०३ डिग्री फारेनहाइट), सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व शरीर में कमजोरी आने लगती है। पिस्सू के काटने वाली जगह पर फफोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान दिखता है।
इसका समय रहते इलाज न हो तो रोग गंभीर होकर निमोनिया का रूप ले सकता है। कुछ मरीजों में लिवर व किडनी ठीक से काम नहीं कर पाते जिससे वह बेहोशी की हालत में चला जाता है। रोग की गंभीरता के अनुरूप प्लेटलेट्स की संख्या भी कम होने लगती है।
ऐसे करें इलाज
लक्षण व पिस्सू द्वारा काटने के निशान को देखकर रोग की पहचान होती है। ब्लड टेस्ट के जरिए सीबीसी काउंट व लिवर फंक्शनिंग टेस्ट करते हैं। एलाइजा टेस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टेस्ट से स्क्रब टाइफस एंटीबॉडीज का पता लगाते हैं। इसके लिए ७-१४ दिनों तक दवाओं का कोर्स चलता है। इस दौरान मरीज कम तला-भुना व लिक्विड डाइट लें। कमजोर इम्युनिटी या जिन लोगांे के घर के आसपास यह बीमारी फैली हुई है उन्हें डॉक्टर हफ्ते में एक बार प्रिवेंटिव दवा भी देते हैं।