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प्रेग्नेंसी प्लानिंग के 2 माह पहले से फोलिक एसिड व विटामिन्स युक्त डाइट लेना शुरू करें

गर्भ में शिशु को जो भी पोषण मिलता है वह मां के आहार से ही मिलता है। इससे शिशु की न्यूरल ट्यूब, बे्रन और स्पाइनल कॉर्ड का विकास अच्छी तरह से होता है। 600 कैलोरी ज्यादा लेनी चाहिए गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में।

Nov 17, 2019 / 02:48 pm

विकास गुप्ता

Take diet containing folic acid and vitamins 2 months before pregnancy

प्रेग्नेंसी के दो माह पहले से ही संतुलित खानपान की जरूरत होती है। फोलिक एसिड और मल्टी विटामिन से भरपूर डाइट लेनी शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि गर्भ में शिशु को जो भी पोषण मिलता है वह मां से मिलता है। इससे शिशु की न्यूरल ट्यूब, बे्रन और स्पाइनल कॉर्ड का विकास अच्छी तरह से होता है। इसके अलावा शिशु कई तरह की दिक्कतों से भी बच जाता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को चिकित्सक की सलाह के बिना कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। सॉफ्ट ड्रिंक्स, फास्ट फूड व स्मोकिंग से दूर रहना चाहिए। तम्बाकू भी न खाएं न पीएं ((हुक्का) क्योंकि यह काफी नुकसानदायक होता है।

संतुलित आहार जरूरी : गर्भवती को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, मिनरल्स, विटामिन्स और साबुत अनाज युक्त आहार लेना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त प्रोटीन लेना बहुत जरूरी है। यह पनीर, सोयाबीन, डेयरी प्रोडक्ट, टोफू और अंडे से मिलता है। फैट लेना भी जरूरी है पर इसे तय मात्रा में लें। घी, बटर, आयल्स से हैल्दी फैट मिलता है।

नियमित दो मौसमी फल लें : मिनरल व विटामिन्स फलों और सब्जियों से मिलते हैं। नियमित दो मौसमी फल लें। इन्हें बदलकर खा सकते हैं। मिनरल्स के लिए प्रतिदिन ड्रायफ्रूट, सलाद और हरी सब्जियां लें। दिनभर में तीन कम्पलीट मील और दो सेमी मील लेने चाहिए। बे्रकफास्ट, लंच, डिनर के अलावा नट्स, दही-छाछ भी ले सकते हैं।

3 माह ज्यादा दिक्कत पर थोड़ा-थोड़ा खाएं –
गर्भावस्था के शुरुआती तीन माह अधिकतर महिलाओं को हार्मोन बदलाव के कारण खाने में दिक्कत होती है। ध्यान रखें जो चीजें हजम नहीं हो रही हैं उन्हें जबर्दस्ती न खाएं। खाली पेट होने पर दिक्कत ज्यादा होगी। जरूरी है कि तीन घंटे बाद थोड़ा-थोड़ा खाएं। सुबह रसगुल्ला, केला, ग्लूकोज या क्रीम युक्त बिस्कुट खाने से मिचली आने व मन खराब रहने पर आराम मिलता है। तीन माह बाद भी आराम न मिले तो डॉक्टर से परामर्श लें।

भ्रांति व सच – ऐसा कहा जाता है कि गर्भावस्था में दो लोगों के बराबर खाना चाहिए। ‘सब खाओ-खूब खाओ’ की सोच से बचें। सच यह है कि गर्भावस्था के दौरान 500-600 कैलोरी ज्यादा ले सकते हैं पर इसे पोषण युक्त आहार के साथ लेना ठीक है। जंकफूड, बहुत मीठा, पूड़ी, परांठे खाकर सेहत नहीं बिगाडऩी चाहिए। इससे बच्चे को पूरा पोषण नहीं मिलेगा। इसमें फू्रट्स, सलाद ज्यादा होना चाहिए। डिलीवरी बाद ब्रेस्ट फीडिंग के समय पोषणयुक्त आहार पर ध्यान देना जरूरी है।

स्तनपान से वजन कम करने में मिलती मदद –
गर्भावस्था के दौरान योग, एंटीनेंटल एक्सरसाइज (प्रसव से पहले किया जाने वाले व्यायाम) करना जरूरी हैं। किसी विशेषज्ञ के निर्देशन में एक से दो घंटे व्यायाम करें। यदि कोई दिक्कत है तो पहले चिकित्सक की सलाह लें। सुबह-शाम वॉक जरूरी है। प्रसव बाद नियमित स्तनपान वजन कम करने में कारगर है। इससे 500 कैलोरी खर्च होती है। अधिकांश मां प्रसव बाद शिशु की देखभाल के कारण नींद पूरी नहीं कर पाती हैं जो वजन बढऩे का एक कारण है। 8-10 घंटे की नींद जरूरी है।

शिशु इस तरह पहचानेगा स्वाद –
शिशुओं को शुरू के छह माह सिर्फ मां का दूध देना चाहिए। मां को कैल्शियम, आयरन, विटामिन और मिनरल युक्त डाइट लेनी चाहिए। ये पोषक तत्त्व शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। 6 माह से एक साल के बीच शिशु को दूध, डेयरी उत्पाद, चावल या दाल का पानी पिलाएं। दूध में केला मसलकर दे सकते हैं। मौसमी फलों का जूस, दलिया व फल भी दे सकते हैं। शिशुओं में स्वाद की रुचि बढ़ाने के लिए लगातार तीन दिन कोई भी चीज खिलाएं। अच्छी नहीं लगने के बावजूद तीन दिन बाद शिशुओं को स्वाद आने लगता है।

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