शहरों में रहने वाले लोग दिन हो या रात चारदीवारी में घिरे रहते हैं। स्वस्थ रहना है तो खुला आसमान, हरियाली भरे जंगल, झरने आदि का आनंद उठाना सीखें। खुले आसमान के नीचे लेटकर तारों को निहारें, हरी घास पर लेटें, ताजी हवा के झोंकें महसूस करें, फिर देखिए कैसी खुशी मिलती है।
दुनिया खूबसूरत चीजों से भरी है। लेकिन उस खूबसूरती का लाभ तभी ले पाएंगे जब आपको कला की समझ हो। इसलिए कला में मन रमाएं। जब आप कला की कद्र करने लगेंगे तो आपको इससे ऐसी खुशी मिलने लगेगी, जैसी भूख लगने पर स्वादिष्ट भोजन से मिलती है।
आस्था सुकून व राहत देती है। इसलिए दिन के किसी भी समय ईश्वर को याद करना न भूलें। उन्हें इस अमूल्य जीवन देने के लिए धन्यवाद दें। साहित्य
साहित्य में रुचि जगाइये। इसमें ढेर सारी खुशियां और ताजगी छिपी हुई है। साहित्य से प्रेम करेंगे तो आपको जीवन से प्रेम होने लगेगा और आराम के जिन क्षणों में आप ऊबने लगते हैं या चिंताओं से घिर जाते हैं उनमें ताजगी महसूस होने लगेगी।
जिसे संगीत से प्यार नहीं, वो दुनिया का सबसे गरीब आदमी है। अच्छा संगीत सुनने से मूड फ्रेश रहता है और चिंता या परेशानियों से दिमाग हटता है। संवेदनशीलता
संवेदनशील बनें। हृदय के दरवाजे खोल कर रखें। दूसरों के सुख-दुख को महसूस करें और उनमें शामिल हों। स्नेह, प्यार, मित्रता, रिश्ते आदि सुख और खुशी देते हैं।
जो लोग खेलकूद पसंद नहीं करते वे दुनिया के गरीब लोगों में शुमार हैं। खेलकूद में दिलचस्पी लेंगे तो आप बुरे दौर में भी खुश रहना सीख लेंगे। आनंद
अपनी दिनचर्या की छोटी-छोटी चीजों में आनंद ढूंढें। बिस्तर की सफाई, भोजन के स्वाद, कपड़ों के रंग और डिजाइन, घर से दफ्तर का सफर हर जगह खुशियों को तलाशें।
जीवन को खुशहाल बनाने के लिए बच्चों से जुड़ें। बच्चे जिंदगी के मकान का बेहद अहम हिस्सा हैं। इनसे जुड़ेंगे तो अपने दुख-दर्द भूल जाएंगे। इनके साथ खेलकर बच्चे बन जाएं और कुछ समय के लिए अपने अतीत में खोकर सुखद यादों का आनंद लें।
जरा सोचिए कि आप काम में व्यस्त नहीं रहते, कोई लक्ष्य न होता तो जिंदगी कितनी सूनी होती। दो-तीन दिन बिना कुछ किए घर में पड़े रहें, यकीनन आप उदास व बीमार महसूस करने लगेेंगे इसलिए अपने पेशे से प्रेम करें।