थोड़ी देर टहल आएं –
पढ़ाई के दौरान अक्सर बच्चों को आलस व थकान महसूस होती है। उन्हें मेडिटेशन करने की सलाह दी जाए तो उन्हें नींद आने लगती है। इसके लिए माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को पढ़ाई के दौरान 25-30 मिनट बाद थोड़ी देर टहलने और लंबी सांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया करने की सलाह दें।
आंखों को आराम दें –
त्राटक (किसी बिंदु पर ध्यान केंद्रित करना), आंखों को दाएं-बाएं, ऊपर-नीचे, क्लॉकवाइज-एंटीक्लॉकवाइज गोलाकर घुमाना, आदि गतिविधियां एक बार में 5-10 बार दोहरा सकते हैं। आंखों की थकान, जलन व पानी आने की समस्या में थोड़ी-थोड़ी देर में आंखों को ठंडे पानी से धोएं।
गर्दन को गोलाकार घुमाएं : बैठे रहने से गर्दन में दर्द व अकड़न की समस्या होती है, इसके लिए कंधे व गर्दन को दाएं-बाएं, ऊपर-नीचे, गोलाकर घुमाने जैसे व्यायाम कर सकते हैं। इससे गर्दन व कंधों से जुड़ी नसों को राहत मिलेगी।
मोटापा नहीं बढ़ेगा : सूर्य नमस्कार, कपालभाति व वज्रासन आदि से भोजन आसानी से पचता है व कमर के आसपास चर्बी नहीं बढ़ती।
पाचनक्रिया सही रहेगी: लगातार बैठे रहने के दौरान बीच-बीच में 5-5 मिनट पवनमुक्तासन, भुजंगासन, ताड़ासन जैसे योग करने से पाचनक्रिया सही रहेगी व शरीर में लचीलापन आएगा।
फेफड़े रहेंगे स्वस्थ : बंद कमरों में रहने से बच्चों को कई बार सांस-संबंधी तकलीफ होती है। ऐसे में उन्हें काम के दौरान श्वास-प्रश्वास क्रिया (लंबी गहरी सांस) व ú का उच्चारण करवाएं।
स्वभाव में बदलाव: अक्सर 10-12साल के बाद से बच्चों के हार्मोंस में बदलाव आने से उनमें चिड़चिड़ापन, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा जैसी आदतें आने लगती हैं। ऐसे में खाटू-प्रणाम, तितलीआसन, ताड़ासन व वृक्षासान आदि कारगर हैं।