निर्देशक ने अक्षय के लिए मनाया
ट्विंकल से जब पूछा गया कि क्या अक्षय ही इस भूमिका के लिए पहली पसंद थे तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘इस फिल्म में अभिनेता के तौर पर अक्षय पहली पसंद नहीं थे। मुझे फिल्म के निर्देशक आर. बाल्की ने फिल्म में अक्षय को लेने के लिए मनाया था। शुरू में किसी और अभिनेता को सोच रही थी, लेकिन बाल्की ने कहा कि इस रोल के लिए अक्षय ही सबसे सही चयन होगा।’
‘पैडमैन’ अरुणाचलम मुरुगनाथम के संघर्ष की कहानी
अक्षय की ‘पैडमैन’ की कहानी तमिलनाडु के कोयंबटूर में जन्मे अरुणाचलम मुरुगनाथम के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने माहवारी के दौरान महिलाओं की परेशानियों को समझते हुए सस्ते मूल्य पर सैनिटरी पैड्स के निर्माण की मशीन बनाई।
14 साल की उम्र में छूट गया था स्कूल
अरुणाचलम मुरुगनाथम तमिलनाडु के रहने वाले हैं। जिनके पिता का निधन एक सड़क दुर्घटना में हो गया था। इसके चलते उन्हें गरीबी में बचपन गुजारना पड़ा। उनकी मां खेतों में काम करके गुजारा चलाती थीं। मुरुगनाथम ने 14 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया था ताकि वह काम करके अपने परिवार की मदद कर सकें।
पत्नी की समस्या को देख उठाया बड़ा कदम
अरुणाचलम की 1998 में शांति से शादी हो गई। लेकिन उन्होंने एक दिन देखा कि उनकी पत्नी पीरियड्स के दौरान गंदे कपड़ों और अखबार का इस्तेमाल करती हैं क्योंकि सैनिटरी पैड महंगे आते थे। बस इसके बाद अरुणाचलम इस समस्या से निबटने के लिए जुट गए।
बहन और पत्नी ने कर दिया था साफ इनकार
उन्होंने सबसे पहले कॉटन का इस्तेमाल करके पैड बनाने शुरू किए। उनकी पत्नी और बहन ने इसे सिरे से नकार दिया। दोनों ने अरुणाचलम का साथ देने से भी साफ इंकार कर दिया। उन्हें इस काम के लिए कोई वॉलंटियर भी नहीं मिली तो उन्होंने सैनिटरी पैड का परीक्षण खुद पर ही करना शुरू कर दिया। हालांकि गांव के लोगों ने उनका विरोध किया।
खुद ने 65 हजार में बनाई मशीन
अरुणाचलम को यह बात जानने में दो साल का समय लग गया कि कॉमर्शियल पैड सेल्यूलोज से बने होते हैं। लेकिन इसे बनाने वाली मशीन बहुत महंगी थी इसलिए उन्होंने खुद मशीन बनाने का इरादा बनाया और 65,000 रु. की मशीन तैयार कर दी। उन्होंने इसका इस्तेमाल पैड बनाने के लिए किया। अरुणाचलम के इस प्रयोग को दुनियाभर में पहचाना गया और कई औरतों की जिंदगी को बदलने में इसने अहम भूमिका निभाई। उनसे कई अन्य उद्यमियों ने भी प्रेरणा ली।