फिल्म इंडस्ट्री के मेगास्टार बिग बी अमिताभ बच्चन पॉलिटिक्स में उतने चमक नहीं पाए, जितने बॉलीवुड में हुए। 1984 में एक्टर पॉलिटिक्स में शामिल हुए थे और उन्होंने इलादाबाद सीट जीती थी। लेकिन इसके 3 साल बाद अमिताभ ने सांसद और राजनेता का पद छोड़ दिया था।
रेखा 2012 से राज्यसभा मेंबर हैं, लेकिन निर्वाचित 12 सदस्यों में से उनकी मौजूदगी दर सबसे कम है। इसके अलावा उन्होंने कभी भी किसी डिबेट या चर्चा में हिस्सा नहीं लिया।
धर्मेंद्र ने भी पॉलिटिक्स में अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन वो इसमें फेल हो गए। एक्टर ने बीजेपी (BJP) से राजस्थान के बीकानेर से चुनाव लड़ा था और जीत भी गए थे, लेकिन बाद में धर्मेंद्र को अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए कड़ी फटकार लगाई गई थी। इसके अलावा वो संसद में भी नियमित रूप से मौजूद नहीं होते थे।
शबाना आजमी 1997 से 2003 तक भारत की राज्यसभा की मेंबर थीं। उन्होंने महिलाओं के अधिकार के हित में, AIDS और भेदभाव के खिलाफ कई अभियान भी चलाएं। लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक यही वजह है कि उन्होंने इसे करने के लिए सरकार से मुक्त रहने का फैसला किया और पॉलिटिक्स छोड़ दी।
सुपरस्टार रजनीकांत का सिनेमा में बहुत बड़ा नाम है। लोग उन्हें भगवान मानते हैं। उन्होंने 2018 में पार्टी लॉन्च की लेकिन 3 साल बाद ही इसे बंद करते हुए कहा कि उनका पॉलिटिक्स में जाने का कोई इरादा नहीं है।
कॉमेडी किंग गोविंदा ने 2004 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत भी गए। लेकिन 2008 में उन्होंने पॉलिटिक्स छोड़ने का फैसला किया।
राखी सावंत ने 2014 में पॉलिटिक्स ज्वॉइन की थी। वो चुनाव भी लड़ीं लेकिन हार गईं। खराब प्रदर्शन के कारण वो पॉलिटिक्स में फेल हो गईं।
संजय दत्त ने 2009 में लखनऊ से समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा था, लेकिन कोर्ट द्वारा शस्त्र अधिनियम के तहत उनकी सजा को निलंबित करने के मना करने के बाद उन्हें अपना नाम वापस लेना पड़ा था।
उर्मिला मातोंडकर 2019 में पॉलिटिक्स में उतरी थीं और कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ी थीं, लेकिन वो हार गईं थी। इसके 5 महीने बाद ही एक्ट्रेस ने पार्टी छोड़ दी और 2020 में शिवसेना में शामिल हो गईं।
एक्टर महेश मांजरेकर ने भी बॉलीवुड के बाद पॉलिटिक्स आजमाई। उन्होंने 2014 में चुनाव लड़ा था। लेकिन वो शिवसेना के गजानन कीर्तिकर से हार गए थे।