इस गाने के बोल सुनकर अमिताभ-मौशमी और प्रेमनाथ के साथ-साथ इस गाने को गाने वाली सिंगर लता मंगेशकर भी बहुत हंसी।
मुंबई। हिन्दी सिनेमा के इतिहास में जब भी सफल संगीतकारों की चर्चा चलती है तो वहां लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। लक्ष्मीकांत को प्यारेलाल का साथ मिला तो दोनों ने संगीत की दुनिया में अपना परचम लहरा दिया। लक्ष्मीकांत ने आर्थिक तंगी के कारण छोटी सी उम्र से ही संगीत समारोह का हिस्सा बनना शुरू कर दिया था।
लक्ष्मीकांत का पूरा नाम लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर था। 3 नवंबर 1937 को मुंबई में उनका जन्म हुआ। लक्ष्मीकांत ने प्यारेलाल के साथ मिलकर हंसी-मजाक में बेमन से एक्टर-डायरेक्टर मनोज कुमार की फि ल्म “रोटी कपड़ा और मकान” का गाना “महंगाई मार गई” सुपर डूपर हिट हुआ। दरअसल, इस गाने के बोल को लेकर फिल्म के एक्टर अमिताभ-मौशमी और प्रेमनाथ के साथ-साथ इस गाने को गाने वाली सिंगर लता मंगेशकर भी बहुत हंसी। इनके अलावा यूनिट का हर इंसान मजाक उड़ाता था। लक्ष्मी-प्यारे को भी इसके बोल कुछ खास पसंद ना थे लेकिन, बेमन से कंपोज किए इस गाने ने उनकी संगीत की दिशा ही बदल दी।
लक्ष्मीकांत के कांधों पर बड़ी छोटी उम्र में ही जिम्मेदारी का बोझ आ गया था। जब वे 9 साल के थे उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। असमय घटी इस घटना के चलते उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर घर-परिवार का पेट पालने के लिए रोजगार की चिंता सताने लगी।बचपन से संगीत पसंद करने वाले लक्ष्मी ने उस्ताद हुसैन अली से संगीत की शिक्षा ग्रहण की और साथ में आय के लिए संगीत समारोह में शिरकत करना शुरू क र दिया।
बचपन में लता मंगेशकर की म्यूजिक एकेडमी में मिले दोस्त प्यारेलाल से मिलकर लक्ष्मीकांत ने आजीवन कर्णप्रिय संगीत से सबका मन मोहा। इस मशहूर जोड़ी ने मिलकर 635 हिन्दी फिल्मों में संगीत का जादू बिखेरा और उस दौर के हर सफल निर्देशक के साथ काम कर उनकी फिल्मों में सुरीले गानें दिए। इस जोड़ी ने “सावन का महीना..(मिलन) “,”डफली वाले…(सरगम)”,”बिंदिया चमकेगी…(दो रास्ते)”,”तू मेरा हीरो…(हीरो)”,”चिठ्ठी आई है…(नाम)” आदि फिल्मों में सदाबहार म्यूजिक दिया है।