अमिताभ-रेखा का अफेयर चर्चा में रहा
अमिताभ बच्चन अभिनेत्री रेखा के साथ अफेयर को लेकर भी चर्चा में रहे। इन दोनों के इश्क की खबरें कई दिनों तक चलीं। यहां तक कि कुछ लोगों को अब भी यकीन है कि अमिताभ रेखा से आज भी चुपचाप मिलते हैं। फिल्म दो अनजाने (1976) में पहली बार रेखा और अमिताभ ने साथ काम किया। रेखा शादीशुदा अमिताभ के अभिनय और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उनके प्यार में पड़ गईं। अमिताभ भी रेखा की खूबसूरती के दीवाने हो गए। मगर पत्नी जया ने धैर्य का परिचय दिया और वह आखिरकार अमिताभ को वापस पाने में कामयाब रहीं। फिल्म सिलसिला (1981) के साथ दोनों के साथ काम करने का सिलसिला भी खत्म हो गया, जब उमराव जान के लिए रेखा को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला तो सबसे पहले अमिताभ ने रेखा को फोन कर बधाई दी थी।
अचानक मांग में सिंदूर भरकर पार्टी में पहुंची रेखा
कहा जाता है कि रेखा ने बिना डरे अपने कुछ दोस्तों को अमिताभ के साथ अपने रिश्तों के बारे में साफ-साफ बता दिया था। उधर शादीशुदा अमिताभ घबरा गए और रेखा से जुड़े हर सवाल को उन्होंने सिरे से नकार दिया। फिर वो दिन आया जिसने हंगामा बरपा कर दिया…। अभिनेता ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी में रेखा मांग में सिंदूर भरकर बिलकुल एक शादीशुदा औरत की तरह पहुंच गईं। ये अफवाह उड़ी कि रेखा और अमिताभ ने चुपके से शादी कर ली है हालांकि रेखा ने कभी इस बारे में कुछ नहीं कहा।
उधर जया के सब्र का बांध टूटने लगा था उन्होंने एक दिन रेखा को फोन कर अपने घर डिनर पर बुला लिया। अमिताभ उस वक्त शहर से बाहर थे, रेखा पहले तो घबराईं लेकिन फिर जया से मिलने चली गईं। कहा जाता है कि डिनर के दौरान रेखा से जया ने अमिताभ और उनके कथित अफेयर पर कुछ भी नहीं कहा हालांकि जब रेखा लौटने लगीं तो जया ने सिर्फ इतना कहा-कुछ भी हो जाए मैं अमिताभ को कभी नहीं छोड़ूंगी…।
1984 में एक इंटरव्यू में रेखा ने अपने रिश्ते पर बात की
ऐसा नहीं है कि रेखा ने कभी अपने रिश्ते पर बात नहीं की। साल 1984 के नवंबर अंक में फिल्मफेयर मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में रेखा ने कहा कि मेरी बातों से किसी को कोई खास फर्क नहीं पडऩा चाहिए क्योंकि मैं दूसरी औरत हूं। उन्होंने जया पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे शख्स के साथ एक छत के नीचे रहने का मतलब मैं समझ सकती हूं जो किसी और से प्यार करता हो। रेखा ने साफ कहा कि मैं अब किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती, शादी पर उन्होंने कहा कि हम ऐसी चीज के बारे में सोचकर क्यों दुखी हों जो हो ही नहीं सकती।