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जब 33 साल की उम्र में लता मंगेशकर को दे दिया गया था जहर, जानें फिर क्या हुआ?

जब 33 साल की उम्र में लता मंगेशकर को दे दिया गया था जहर, जानें फिर क्या हुआ?….

Sep 28, 2017 / 03:37 pm

भूप सिंह

Lata_Mangeshkar

स्वर कोकिला लता मंगेशकर आज अपना 88वां जन्मदिन मना रही है। मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर करोड़ों लोगों के दिलों में आज भी राज करती है। लेकिन कई दशक पहले धीमा जहर देकर उनकी जान लेने की कोशिश की गई थी। डोगरी भाषा की प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मा सचदेवा की हालिया पुस्तक में इसका जिक्र है। पद्मा और लता मंगेशकर के काफी नजदीक के सम्पर्क हैं।

पद्मा सचदेव की इस पुस्तक ‘ऐसा कहां से लाऊं.’ में लता मंगेशकर ने बताया है कि यह घटना 1962 में हुई थी, जब वह 33 साल की थीं। लताजी ने पुस्तक लेखिका को बताया था कि वे तीन दिन उनके लिए जिंदगी का सबसे तकलीफदेह समय था। दर्द बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था। कमजोरी इतनी हो गई थी कि वह हिल भी नहीं पा रही थीं।

लेखिका के साथ अपने अनुभव को शेयर करते हुए लताजी ने कहा था कि दर्द बढ़ता देखकर डॉक्टरों ने उन्हें बेहोशी का इंजेक्शन लगाया था। तीन दिन तक जिंदगी और मौत के संघर्ष के बाद आखिरकार लताजी को एक तरह से नया जीवन मिला था। हालांकि, इस बीमारी की वजह से वे काफी कमजोर हो गई थी कि और तीन महीने तक गाना नहीं गा सकी थीं।

धीमा जहर और रसोइया कनेक्शन
डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उन्हें धीमा जहर दिया जा रहा था। इस घटना के बाद उनके घर में खाना पकाने वाला रसोइया किसी को कुछ बताए बिना भाग गया। बाद में लता मंगेशकर को पता चला कि उस रसोइये ने फिल्म इंडस्ट्री में भी काम किया था।

बहन ने संभाला था रसोई का जिम्मा
गौरतलब है कि लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर के साथ एक साक्षात्कार में भी लता मंगेशकर ने इस घटना का उल्लेख किया था। उनके साक्षात्कार पर आधारित यह पुस्तक 2009 में प्रकाशित हुई थी। इस घटना के बाद घर में रसोई का काम उनकी छोटी बहन उषा मंगेशकर ने संभाल लिया और वही खाना बनाने लगीं।

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