‘अंग्रेजी मीडियम’ से पहले सिनेमाघरों में पहुंची टाइगर श्रॉफ की ‘बागी 3’ एक मई को हॉटस्टार पर दिखाई जाएगी। करीब सौ करोड़ रुपए की लागत वाली यह फिल्म सिनेमाघर बंद होने से पहले 93 करोड़ रुपए का कारोबार कर चुकी थी। जनवरी से मार्च तक रिलीज हुईं कई और फिल्में डिजिटल प्रीमियर की कतार में हैं। विक्की कौशल की ‘भूत : द हॉन्टेड शिप’ और आयुष्मान खुराना की ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ 17 अप्रेल को, जबकि तापसी पन्नू की ‘थप्पड़’ 24 अप्रेल को प्राइम वीडियो पर दिखाई जाएगी। सारा अली खान और कार्तिक आर्यन की ‘लव आज कल’ का डिजिटल प्रीमियर 17 अप्रेल को जियो सिनेमा पर होगा। ओटीटी प्लेटफॉम्र्स पर हाल ही जो फिल्में दिखाई जा चुकी हैं, उनमें ‘मलंग’, शिकारा, स्ट्रीट डांसर, छपाक, तानाजी, ‘पंगा’ वगैरह शामिल हैं। सिनेमाघरों के अलावा ओवरसीज, सेटेलाइट और म्यूजिक राइट्स फिल्मों की कमाई के माध्यम हैं। बॉलीवुड फिल्मों का ओवरसीज कारोबार तो मार्च में सिनेमाघर बंद होने से पहले ठप हो गया था। चीन में कोरोना के बवंडर से सिनेमाघर जनवरी में बंद कर दिए गए थे। दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले इस देश में पिछले कुछ साल से भारतीय फिल्मों के लिए संभावनाओं के नए दरवाजे खुले हैं। भारत में 387 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाली आमिर खान की ‘दंगल’ ने चीन में 1200 करोड़ रुपए का कारोबार कर रेकॉर्ड तोड़ दिया था। आमिर खान की ही ‘सीक्रेट सुपर स्टार’ ने, जो भारत में 80 करोड़ रुपए का कारोबार कर सकी थी, चीन में 760 करोड़ रुपए जुटाकर सभी को चौंका दिया था।
सलमान खान की ‘बजरंगी भाईजान’ ने भी चीन में अच्छा कारोबार किया था। ऐसे दौर में, जब चीन से अमरीका तक बंद पड़े सिनेमाघरों ने भारतीय फिल्मों की ओवरसीज संभावनाओं पर सवालिया निशान लगा रखा है, डिजिटल राइट्स कमाई का नया माध्यम बनकर उभरा है। कई नई फिल्में, जो सिनेमाघर खुलने का इंतजार कर रही हैं, उनके भी डिजिटल राइट्स बिक चुके हैं। इनमें अमिताभ बच्चन की ‘ब्रह्मास्त्र’ (हॉटस्टार) और ‘झुंड’ (प्राइम वीडियो) के अलावा अक्षय कुमार की ‘सूर्यवंशी’, रणवीर सिंह की ’83’ (दोनों नेटफ्लिक्स), राजकुमार राव की ‘छलांग’ तथा वरुण धवन की ‘कुली नं. वन’ (दोनों प्राइम वीडियो) शामिल हैं। डिजिटल प्रीमियर ने फिल्म के निर्माताओं के लिए तो कमाई की एक और खिड़की खोल दी है, वितरकों के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। फिल्में मोबाइल पर देख ली जाएंगी तो छोटे सेंटर्स में सिनेमाघरों का रुख कौन करेगा?