भगवान दादा : असफलता ने 25 कमरों के बंगले से चॉल में पहुंचाया
भगवान दादा का नाम आज भी फिल्म जगत में सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने अपने पिता की तरह पहले मजदूरी भी की। मूक फिल्मों के जमाने में उन्होंने फिल्म ‘क्रिमिनल’ से करियर शुरू किया। ‘अलबेला’ फिल्म के ‘शोला जो भड़के’ गाने से काफी लोकप्रिय हुए भगवान दादा का करियर एक समय बाद छोटी भूमिकाओं में सिमट गया। हालात ऐसे हुए कि किसी जमाने में जुहू बीच के सामने 25 कमरों के बंगले में रहने वाले भगवान दादा को दादर की एक दो कमरों की चॉल में रहना पड़ा। ऐसे ही हालातों में 4 फरवरी, 2002 में उनका निधन हो गया।
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एके हंगल— किराए के मकान में रहे, नहीं मांगी किसी से मदद
एके हंगल की अदाकारी निराली थी। आज भी मिमिक्री आर्टिस्ट उनकी मिमिक्री करते हैं। उन्हें ‘बावर्ची’ और ‘शोले’ फिल्म के लिए जाना जाता है। हालांकि जीवन के अंतिम दिनों में ऐसी नौबत आई कि वे किराए के घर में रहने लगे। हंगल ने अपनी बदहाली के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं माना। वे कहते थे कि पूरी जिंदगी स्वयं के लिए कुछ बचत नहीं कर पाए। आर्थिक तंगी में मदद को लेकर भी वे स्वाभिमानी बने रहे और किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। 26, अगस्त, 2012 को 98 साल की उम्र में वे दुनिया को अलविदा कह गए।
विम्मी – ठेले पर बॉडी रख ले जाना पड़ा श्मशान
विम्मी ने जितनी जल्दी कामयाबी का स्वाद चखा, उतनी ही जल्दी उनका करियर खत्म हो गया। उनकी पहली ही फिल्म ‘हमराज’ इतनी पॉपुलर हुई कि कई फिल्मों के प्रस्ताव आए। सुनील दत्त के साथ की गई उनकी इस फिल्म के गाने भी लोगों की जुबान पर चढ़े रहे। विम्मी की वैवाहिक जिंदगी भी अल्प अवधि की रही। शिव अग्रवाल से शादी के चंद सालों बाद ही उन्हें अलग होना पड़ा। अकेलेपन में विम्मी को नशे की लत पड़ गई। आर्थिक देनदानियों ने हालात और बदतर कर दिए। स्टारडम के 10 साल बाद ही लिवर की समस्या के चलते 22 अगस्त, 1977 को उनकी मौत हो गई। बताया जाता है कि मौत के बाद उनकी बॉडी को एक चायवाले के ठेले पर श्मशान घाट ले जाना पड़ा।
गीता कपूर— अस्पताल में छोड़ भागा बेटा
अभिनेत्री गीता कपूर के अंतिम दिन भी बदहाली में गुजरे। ‘पाकीजा’ जैसी लोकप्रिय फिल्म का हिस्सा रहीं गीता को आखिरी समय में परिवार का भी सहारा नहीं मिला। बताया जाता है कि अस्पताल में इलाज के दौरान उनका कोरियोग्राफर बेटा उन्हें छोड़कर भाग गया था। बॉलीवुड के कुछ लोगों ने उनके इलाज का खर्चा उठाया। आखिरकार बदहाली में 26 मई, 2018 को उनका निधन हो गया।
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भारत भूषण— कर्ज में डूब हो गए पाई-पाई को मोहताज
दिग्गज कलाकार भारत भूषण का निधन आर्थिक तंगी से जूझते हुए 27 जनवरी, 1992 को हो गया। बतौर कलाकार उन्होंने कालिदास, तानसेन, कबीर, मिर्जा गालिब और बैजू बावरा जैसे ऐतिहासिक किरदार निभाए। हालांकि प्रोड्यूसर बनने के बाद उनके दिन खराब होते चले गए। प्रोड्यूसर के तौर पर उनकी शुरूआती दो फिल्मों ‘बरसात की रात’ और ‘बसंत बहार’ ने उन पर धनवर्षा कर दी थी। कहा जाता है कि उनके भाई रमेश भूषण ने उन्हें ज्यादा फिल्में बनाने के लिए प्रेरित किया, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उनकी फिल्में असफल होती चली गईं और वे कर्ज में डूब गए। पाई-पाई को मोहताज भारत भूषण तंगहाली में ही दुनिया छोड़ गए।