लम्बी रेस का घोड़ा साबित हुई
अल्फ्रेड हिचकॉक की ‘डायल एम फॉर मर्डर’ से प्रेरित ‘एतबार’ से फिल्मी सफर शुरू करने वाले मुकुल आनंद का जोर तकनीक के साथ-साथ भावनाओं पर भी रहता था। उनकी ‘अग्निपथ’ (अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती, डैनी) अच्छी मसाला फिल्म थी। कारोबारी मैदान में ज्यादा नहीं दौड़ सकी। इसके बाद आई ‘हम’ लम्बी रेस का घोड़ा साबित हुई। उस साल (1991) की हिट लिस्ट में ‘साजन’ के बाद यह दूसरे नंबर पर रही। ‘हम’ में उस दौर के तीन बड़े सितारों अमिताभ बच्चन, रजनीकांत और गोविंदा की चमक-दमक तो थी ही, चुस्त-दुरुस्त पटकथा तथा लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की लोकप्रिय धुनों ने भी फिल्म की रंगत बढ़ाई। ‘जुम्मा चुम्मा’ के धूम-धड़ाके का आलम यह था कि कई सिनेमाघरों में दर्शकों की फरमाइश पर इस गाने को दोबारा दिखाया गया। यह दूसरी बात है कि इसकी धुन अफ्रीकी पॉप स्टार मोरी कांटे के गीत ‘तमा-तमा’ से उठाई गई थी। इसी गीत पर बप्पी लाहिड़ी ने ‘तम्मा-तम्मा लोगे’ (थानेदार) तैयार किया। मोरी कांटे के एक और गीत के ‘इंटरल्यूड’ (मुखड़े और अंतरे के बीच का संगीत) को जस का तस उठाकर ‘हम’ का ‘इक दूसरे से करते हैं प्यार हम’ तैयार किया गया।
‘खुदा गवाह’ भी मुकुल आनंद ने बनाई
‘हम’ की धुआंधार कामयाबी ने मुकुल आनंद के कॅरियर को नई उड़ान दी, तो अमिताभ बच्चन के लिए भी यह ऑक्सीजन साबित हुई। वैसे 1991 में इसके बाद आईं उनकी तीनों फिल्में (इंद्रजीत, अकेला, अजूबा) घाटे का सौदा रहीं। उनकी अगली कामयाब फिल्म ‘खुदा गवाह’ (1992) भी मुकुल आनंद ने बनाई। ‘हम’ की कामयाबी का इसमें अमिताभ की नायिका किमी काटकर को खास फायदा नहीं हुआ। शादी के बाद वह मेलबॉर्न (ऑस्ट्रेलिया) में रह रही हैं।
संजय-सलमान की ‘दस’ अधूरी रह गई
‘हम’ को डैनी और कादर खान की अदाकारी के लिए भी याद किया जाता है। डैनी खलनायक बख्तावर के किरदार में थे। कादर खान का डबल रोल था। ‘हम’ और ‘खुदा गवाह’ के बाद मुकुल आनंद ने संजय दत्त और सलमान खान के साथ ‘दस’ बनाने का ऐलान किया था। शूटिंग शुरू होने से पहले इसके गीत ‘सुनो गौर से दुनिया वालो, बुरी नजर न हम पर डालो’ ने काफी धूम मचाई। लेकिन इससे पहले कि यह फिल्म मुकम्मल होती, 1997 में दिल का दौरा पडऩे से मुकुल आनंद की जिंदगी का सफर थम गया। बाद में अनुभव सिन्हा ने संजय दत्त, सुनील शेट्टी और शिल्पा शेट्टी को लेकर नए सिरे से ‘दस’ (2005) बनाई। यह फिल्म कोई करिश्मा नहीं कर सकी।