उन्होंने कहा, ‘निसंदेह, संसदीय समिति के पास भंसाली और किसी भी निर्माता से सवाल पूछने का पूरा अधिकार है। लेकिन तब, जब केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड फिल्म को देख ले और उसे प्रमाणपत्र जारी कर दे।’ निहलानी ने कहा, ‘सेंसर प्रमाणपत्र से पहले उनसे सवाल करना, सीबीएफसी के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देना है क्योंकि बोर्ड ही किसी फिल्म के भाग्य का फैसला करने वाली अंतिम इकाई है।’
निहलानी का मानना है कि लगता है कि सीबीएफसी ने अपना प्रभुत्व खो दिया है। उन्होंने कहा,’मेरे कार्यकाल के दौरान भी, सूचना प्रसारण मंत्रालय ने निर्णय लेने के लिए मुझे भी परेशान (बुलीड) किया था।’ उन्होंने कहा, ”अब यह खुला खेल (फ्री फार आल) हो गयाहै। कोई भी और हर शासी निकाय किसी फिल्म पर सवाल कर सकता है। ऐसे में सीबीएफसी के लिए जगह कहां बचती है?’
निहलानी को आश्चर्य होता है कि ‘आखिर ‘पद्मावती’ फिल्म को प्रताडि़त किया जाना कब बंद होगा। आखिर भंसाली कितनी समितियों को जवाब देंगे? और, यह कहां जाकर समाप्त होगा?’ निहलानी ने सवाल किया, ”क्यों भारत के एक श्रेष्ठ फिल्म निर्माता से बार बार सफाई देने के लिए कहा जा रहा है? और क्यों नहीं सीबीएफसी मुद्दे को निर्णायक रूप से साफ करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है।’ निहलानी का बतौर सीबीएफसी अध्यक्ष का कार्यकाल विवादों से जुड़ा रहा था।
पूर्व सीबीएफसी चीफ पहलाज निहालानी 1993 की हिट फिल्म आंखें का सीक्वल बनाने चाहते हैं। जिसमें गोविंदा और चैकी पांडे ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। पहलाज अब इसका सीक्वल रणवीर सिंह , रणबीर कपूर , अर्जुन कपूर और राजकुमार राव को लेकर बनाने चाहते हैं।