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CFAT के आदेश पर Modi ka Gaon को सेंसर बोर्ड ने दिखाई हरी झंडी

Published: Nov 24, 2017 05:57:40 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

एफसीएटी के आदेश पर ‘मोदी का गांव’ को सेंसर बोर्ड ने दिखाई हरी झंडी…

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फिल्म ‘मोदी का गांव’ अब जल्द ही रिलीज होगी। अस्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे से प्रेरित इस फिल्म को आठ महीने बाद आखिरकार सेंसर बोर्ड ने अपनी मंजूरी दे दी है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने बुधवार को फिल्म के निर्माता सुरेश के. झा को सूचित किया कि फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुमति प्रदान की गई है।

इस खबर से प्रसन्नचित झा ने आईएएनएस से कहा, “यह हमारे के लिए बड़ी जीत है। फिल्म प्रमाणन अपीलीय अधिकरण (एफसीएटी) ने सीबीएफसी की ओर से उठाए गए आपत्तिजनक बिंदुओं को दबा दिया है और हमलोग अब दिसंबर के मध्य तक पूरे भारत में फिल्म का प्रदर्शन करने पर विचार कर रहे हैं।”

फरवरी में सीबीएफसी के तत्कालीन चेरयमैन पहलाज निहलानी ने विविध मसलों को आधार बनाकर फिल्म को बोर्ड का प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने झा को बोर्ड का प्रमाणपत्र से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) व चुनाव आयोग से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करने को कहा था।

निहलानी ने फिल्म में मोदी से मिलते-जुलते पात्र की ओर से पाकिस्तान की तरफ से उड़ी पर हुए हमले के संदर्भ में प्रधानमंत्री के भाषण व ‘पप्पू’ बिहारी नाम का चरित्र आदि को लेकर फिल्म को मंजूरी देने में अपनी अनिच्छा जाहिर की थी। फिल्म के निर्माता ने पीएमओ को इस संबंध में पत्र लिखा था, लेकिन वहां से उनको कोई जवाब नहीं मिला।

इसके बाद उन्होंने एफसीएटी का दरवाजा खटखटाया और सीबीएफसी के आदेश को वहां चुनौती दी। एफसीएटी ने 12 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा कि फिल्म को पीएमओ या निर्वाचन आयोग की ओर से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की कोई जरूरत नहीं है।

एफएसीटी ने कहा, “दोनों संदर्भों में प्रधानमंत्री या फिल्म में चित्रित चरित्र की बात का कोई कानूनी आधार नहीं है, इसलिए पीएमओ से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है।” एफासीएटी ने झा की इस दलील पर भी गौर किया कि भारत के कई हिस्सों में लोगों प्यार से बच्चों को ‘पप्पू’ नाम से पुकारते हैं, जोकि बाद में बच्चे का नाम ही रह जाता है।

पूर्व में इस नाम का प्रयोग बॉलीवुड फिल्म ‘पप्पू कान्ट डांस साला’ और एक विज्ञापन ‘पप्पू पास हो गया’ में होने के उदारहण भी मिलते हैं। एफसीएटी के आदेश के बाद फिल्म ‘मोदी का गांव’ सीबीएफसी के पास भेजी गई, जिसे बोर्ड ने अंतिम रूप ये अपनी हरी झंडी दे दी है।

झा ने बताया कि फिल्म में स्वच्छ भारत अभियान , स्मार्ट इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का जिक्र किया गया है। फिल्म में मुंबई के व्यवसायी मुख्य पात्र मोदी की भूमिका में हैं। वहीं टेलीविजन कलाकार चंद्रमणि एम. और जेबा ए. ने अन्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 135 मिनट की इस फिल्म का निर्देशन तुषार ए. गोयल ने किया है।

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