महेश भट्ट की ‘अर्थ’ की नायिका (शबाना आजमी) का दूसरी औरत (स्मिता पाटिल) के प्रेम से मुक्त होकर लौटे पति (कुलभूषण खरबंदा) को कबूल करने से इनकार करना सिनेमा में एक तरह से क्रांति का आगाज था। उस क्रांति की चिंगारियां ‘थप्पड़’ तक आते-आते लावे में तब्दील हो चुकी हैं। पति कहीं और का गुस्सा पत्नी को थप्पड़ मारकर उतारे और बाद में ‘एक थप्पड़ ही तो है’ का जाप करते हुए माफी मांगने लगे, यह उस चोट की भरपाई नहीं है, जो पत्नी के आत्म सम्मान को लगी है। ‘थप्पड़’ की नायिका (तापसी पन्नू) इस चोट को लेकर पति से अलग होने का फैसला करती है। सिनेमा में यह बदलाव भी सुखद है कि अब ‘पंगा’, ‘छपाक’, ‘सांड की आंख’ और ‘द स्काई इज पिंक’ जैसी फिल्में बन रही हैं, जो पूरी तरह नायिकाओं के कंधों पर हैं।
अब आज की महिला की ताकत, हिम्मत और हौसले को फिल्मकार अनुराग कश्यप ( Anurag Kashyap ) की नजर से देखने की बारी है। उनकी ताजा फिल्म ‘चोक्ड : पैसा बोलता है’ ( Choked : Paisa Bolta Hai ) का 5 जून को नेटफ्लिक्स ( NetFlix ) पर डिजिटल प्रीमियर होगा। अनुराग कश्यप इस ओटीटी कंपनी के लिए ‘लस्ट स्टोरीज’ और ‘घोस्ट स्टोरीज’ सीरीज की दो फिल्मों के अलावा वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ की कुछ कडिय़ां निर्देशित कर चुके हैं। ‘चोक्ड : पैसा बोलता है’ में मध्यम वर्ग की युवती सरिता (सैयामी खेर, Saiyami Kher ) की कहानी है। वह बैंक में काम करती है। उसके पति सुशांत (रोशन मैथ्यू) पर संगीतकार बनने की धुन सवार है। सरिता घर चलाती है और सुशांत उसे बड़े-बड़े सपने दिखाता है।
इन सपनों से अलग सरिता के भी कुछ सपने हैं कि कभी ऊपर वाला उसे छप्पर फाड़ कर दे, ताकि रोज-रोज की तंगी से निजात मिले। फिर कुछ ऐसा होता है कि सरिता को घर में ही धन मिलने का सिलसिला शुरू हो जाता है। घर का हुलिया बदलने लगता है तो पति महाशय का ब्लडप्रेशर बढऩे लगता है कि पत्नी के पास यह अतिरिक्त धन कहां से आ रहा है। खुद भले कोई काम-धंधा नहीं करते हों, उनका पत्नी पर शक करने का अधिकार तो सुरक्षित है। फिल्म में यह कहावत भी बुनी गई है कि पैसा आपको जो देता है, वो ले भी सकता है।
किसी शायर ने कहा है- ‘दैरो-हरम (मंदिर-मस्जिद) में चैन जो मिलता/ क्यों जाते मैखाने लोग।’ इसी तर्ज पर अगर धन से सब कुछ खरीदा जा सकता तो धन वाले नींद भी खरीद लेते, लेकिन यह किसी बाजार में नहीं मिलती। सैयामी खेर ने इस फिल्म से बड़ी उम्मीदें लगा रखी हैं। अपनी पहली फिल्म ‘मिर्जिया’ (2016) से उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। यह पंजाबी लोककथा ‘मिर्जा साहिबां’ से प्रेरित थी। सैयामी बीते जमाने की मशहूर अभिनेत्री उषा किरण (दाग, पतिता, बादबान) की पोती हैं। यानी अभिनय उनके खून में है। बस, इस अभिनय का इंद्रधनुष की तरह निखर कर जमाने पर छाना बाकी है।