script‘कोरोना काल की बहू’: जागरुकता के लिए बनाई फिल्म, कलाकारों ने नहीं ली फीस | Corona Kaal Ki Bahu short film by MP Police | Patrika News

‘कोरोना काल की बहू’: जागरुकता के लिए बनाई फिल्म, कलाकारों ने नहीं ली फीस

locationमुंबईPublished: Sep 10, 2020 12:06:45 am

यह उस नवविवाहित जोड़े की कहानी है जिसकी मिलन की पहली रात में ही लड़के को खांसी आती है, तो उसकी पत्नी टेस्ट कराने की सलाह देती है और पति को सोफा पर सोकर रात गुजारना पड़ती है। पति टेस्ट कराता है तो रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव ( Corona Positive ) आती है, फिर पति को 14 दिन तक होम आइसोलेशन ( Home Isolation ) में रहना पड़ता है।

'कोरोना काल की बहू': जागरुकता के लिए बनाई फिल्म, कलाकारों ने नहीं ली फीस

‘कोरोना काल की बहू’: जागरुकता के लिए बनाई फिल्म, कलाकारों ने नहीं ली फीस

मुंबई। कोरोना वायरस महामारी को लेकर समाज में बड़ी भ्रांति है। यही कारण है कि लोग एक-दूसरे की मदद करने से कतरा रहे हैं। बीमारी को लेकर पनपी भ्रांतियों को दूर करने के लिए मध्यप्रदेश के रीवा जिले में पुलिस ने जागरूकता की मुहिम तेज की है और इसके लिए एक लघु फिल्म भी बनवाई है, जिसका नाम है ‘कोरोना काल की बहू’।

कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए मास्क के इस्तेमाल के साथ सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दिया गया है। साथ ही बीमारी के लक्षण नजर आने पर कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी जा रही है, मगर लोग इस बीमारी से बचाव की बजाय डर के साए में आते जा रहे हैं। इसी डर को मिटाने के लिए तरह-तरह के जतन सरकारी और निजी स्तर पर किए जा रहे हैं। इसी क्रम में रीवा में मनोरंजक, आकर्षक और संदेश देने वाली लघुफिल्म बनाई गई है।

पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह बताते हैं कि लोगों में जागरूकता लाने के मकसद से फिल्म निर्देशक आफताब ने 15 मिनट की लघुफिल्म बनाई है। इस फिल्म में बहू अपने पति के जरिए कोरोना से बचने और इसके इलाज का संदेश दे रही है। फिल्म बताती है कि कोरोना से डरने की नहीं, एहतियात बरतने की जरूरत है। यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है, अगर सजग और सतर्क रहें तो इससे बचा जा सकता है। इस फिल्म की खासियत यह है कि इसके सारे कलाकार स्थानीय हैं और निर्देशक आफताब आलम ने मुख्य किरदार निभाया है। वह रहने वाले तो रीवा के हैं, मगर इस फिलहाल मुंबई फिल्म जगत में काम कर रहे हैं। उन्होंने क्राइम पेट्रोल और सावधान इंडिया सीरियल में काम किया है।

आफताब फिल्म की कहानी के बारे में बताते हैं, यह उस नवविवाहित जोड़े की कहानी है जिसकी मिलन की पहली रात में ही लड़के को खांसी आती है, तो उसकी पत्नी टेस्ट कराने की सलाह देती है और पति को सोफा पर सोकर रात गुजारना पड़ती है। पति टेस्ट कराता है तो रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आती है, फिर पति को 14 दिन तक होम आइसोलेशन में रहना पड़ता है। इस दौरान वह काढ़ा पीता है, गर्म पानी का इस्तेमाल करता है, योग करता है और स्वस्थ हो जाता है। इसके बाद यह युगल सुखमय जीवन जीवन जीने लगता है।

इस फिल्म को बनाने की योजना पूर्व में रीवा में पदस्थ रहे पुलिस अधीक्षक आबिद खान ने बनाई थी, मगर उनका तबादला हो गया। नए पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह ने इस फिल्म को बनाने का अभियान जारी रखा। आमतौर पर होता यह है कि पूर्व पुलिस अधिकारी के फैसलों को नया पुलिस अधिकारी बदल देता है, मगर कोरोना के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए बनाई जा रही फिल्म के मामले में ऐसा नहीं हुआ और जन जागृति के लिए बनाई जा रही है फिल्म पूरी हो गई। इसमें किरदार निभाने वाले किसी भी कलाकार ने पारिश्रमिक नहीं लिया है।

यह पहली ऐसी फिल्म है, जो कोरोना को लेकर जनजागृति लाने के लिए बनाई गई है। यह रिलीज हो चुकी है, इसे जगह-जगह प्रदर्शित कर लोगों को जागृत किया जा रहा है और बताया जा रहा है कि सावधानी बरतने से कोरोना से खुद को दूर रख सकेंगे। बस जरूरत इस बात की है कि लक्षण नजर आएं तो छुपाएं नहीं, बल्कि जांच कराएं।

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