scriptरिचर्ड एटेनबरो की फिल्म `गांधी’ के लिए ऑस्कर अवार्ड से नवाजी गईं थीं फैशन डिजाइन भानु अथैय्या | fashion designer bhanu athaiya life story | Patrika News

रिचर्ड एटेनबरो की फिल्म `गांधी’ के लिए ऑस्कर अवार्ड से नवाजी गईं थीं फैशन डिजाइन भानु अथैय्या

locationमुंबईPublished: Feb 24, 2018 05:51:36 pm

Submitted by:

Preeti Khushwaha

88 साल की हो चुकीं भानु अथैय्या फिल्म इंडस्ट्री में आधी सदी गुजार चुकीं हैं।

fashion designer bhanu athaiya

fashion designer bhanu athaiya

अपने जमाने की जानीमानी फैशन डिजाइनर भानु अथैय्या का नाम आज भी फैशन की दुनिया में बड़े फर्क के साथ लिया जाता है। 88 साल की हो चुकीं भानु अथैय्या फिल्म इंडस्ट्री में आधी सदी गुजार चुकीं हैं। एक कॉस्ट्यूम डिजाइनर के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाली भानु आज भी खुद को फैशन इंडस्ट्री में सक्रीय रखती हैं। रिचर्ड एटेनबरो की फिल्म `गांधी’ के लिए भानु को ऑस्कर अवार्ड भी मिल चुका है। जिसकी अभी तक चर्चा होती है। भानु ने अपने करियर की शुरुआत पेंटिंग से की थी।
बाता दें कि भानु ने महज आठ साल बरस की उम्र में ही पेंटिंग सीखना शुरू कर दिया था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि सांस्कृतिक विरासत और सिनेमा दोनों के गढ़ कोल्हापुर में मेरा बचपन बीता। वो बताती हैं कि उनके पिता ब्रिट्रिश एकेडमी स्टाइल की पेंटिंग करते थे। उनके रंगों की दुनिया में उन्हें बड़ा मजा आता था। चोरी छिपे उनके स्टूडियो में जाकर वो रंगों से खेला करती थीं। अक्सर पिता का काम पूरा होने के बाद उनके ब्रश और पैलेट धोकर रखती थीं। उस वक्त पिताजी लियोनार्डो द विंची, रेम्ब्रेंट और टर्नर जैसे बड़े कलाकारों को पढ़ा करते थे।

fashion designer bhanu athaiya

इसके साथ ही वो बताती हैं कि उन्होंने भी चोरी छिपे पिता जी की किताबों को पढ़ना शुरु कर दिया था। उन्हीं से उन्हें बड़े कलाकारों के बारे में जाना। उन दिनों स्थानीय कलाकार एमवी धुरंधर की पेंटिंग उन्हें काफी अच्छी लगती थी। लेकिन तभी उनके पिता जी नहीं रहे। वह एक कठिन दौर था। उनकी मौत के बाद आर्ट टीचर शशि किशोर चव्हाण ने उनकी मां को इस बात के लिए राजी किया था कि वो पेंटिंग को सिर्फ शौकिया नहीं, बल्कि करियर के तौर पर लें। बाद में ‘सर जेजे स्कूल ऑफ ऑर्ट’ में उन्होंने दाखिला ले लिया।

वहां उन्होंने प्रोफेसर अहिवासी से मिनिएचर पेंटिंग बनाने की तालीम हासिल की। कला की यह शिक्षा काफी हद तक पश्चिमी कला से प्रभावित थी। इसी दौरान वें हुसैन रजा, सूजा और गैटोंडे के संपर्क में आई। उस समय पीएजी (प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप) बनाया गया और भानु उसकी एकमात्र महिला सदस्य थी। पीएजी जगह-जगह प्रदर्शनी आयोजित कराता था। उस दौरान उनकी दर्जनों पेंटिंग्स बनाई।
ऐसी ही एक प्रदर्शनी के लिए उन्होंने गंगौर घाट से प्रेरित होकर ‘स्नान घाट’ बनाया था। जिसकी काफी चर्चा हुई। लेकिन तभी मेरे करियर की दिशा बदल गई।

भानु ने फैशन एंड ब्यूटी मैगजीन में बतौर फैशन इलस्ट्रेटर काम शुरू कर दिया। बाद में उन्होंने वीकली मैगजीन ‘ईव’ के लिए भी काम किया। चित्रकार आरा इस बात पर बहुत नाराज हुए थे। उन्होंने कहा था कि ‘तुम इलस्ट्रेटर क्यों बनना चाहती हो। यह कोई कला नहीं है। इस काम से सिर्फ तुम्हारी ही नहीं, बल्कि दूसरे कलाकारों की भी बेइज्जती होगी।’ लेकिन उन्होंने वही किया, जो उन्हे सही लगा। वो फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में आ गई।
भानु अथैय्या ने 100 से ज्यादा फिलमों के लिए ड्रस डिजाइन किए। उन्होंने गुरू दत्त से लेकर राज कपूर तक की फिल्मों के लिए ड्रेस डिजाइन किए। इसके साथ ही उन्होंने 1991 और 2002 में दो राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड्स जीते। मार्च 2010 में, अथैया ने हार्पर कॉलिंस द्वारा प्रकाशित उनकी पुस्तक द आर्ट ऑफ़ कॉस्टयूम डिज़ाइन शुरु की। उन्होंने 13 जनवरी 2013 को दलाई लामा को अपनी किताब की एक प्रति भेंट की।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो